पटना: सोशलिस्ट एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन सेवा बिहार राज ओबीसी कर्मचारी महासंघ के तत्वाधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय जातिगत जनगणना था तो वहीं चेन्नई से पटना अखिल भारतीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव श्रीजी करुणानिधि ने विषय पर सिलसिलेवार ढंग से विवरण देते हुए जनगणना और जाति जनगणना का इतिहास प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि देश की विभिन्न जातियों की उचित संख्या ज्ञात नहीं रहने से संसाधनों का समुचित वितरण असंभव प्राय है जाति जनगणना के आधार पर मंडल कमीशन की अनुशंसा लागू की गई किंतु अब न्यायालय और विभिन्न एजेंसियां 1931 की जातीय जनगणना पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए विभिन्न वर्गों को उनकी समुचित भागीदारी को नकार रही है। उच्च शिक्षा में 27% आरक्षण के समय भी कोई संतुष्ट नहीं था।
तो वही सेमिनार के मुख्य अतिथि रहे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री भारत सरकार उपेंद्र कुशवाहा ने भी जातिगत आधारित जनगणना कराने को लेकर समर्थन करते हुए कहा कि जिस तरह से सरकार कहती है कि जाति आधारित जनगणना कराने से समाज में वैमनस्यता फैलेगी तो वही दूसरी तरफ चुनावों के समय ओबीसी एससी एसटी जातियों का नाम क्यों लेती है।
उस समय ऐसा क्यों नहीं सोचती कि समाज में विभिन्नता फैलेगी लेकिन जब देश की हर विपक्षी पार्टियां जाति आधारित जनगणना कराना चाहिए तो सरकार अपना पैर पीछे क्यों खींच रही है सरकार को किसी भी सूरत में जाति आधारित जनगणना कर आना ही होगा।
पटना से रामजी प्रसाद की रिपोर्ट Yadu News Nation