पटना (रामजी प्रसाद): कृषि विभाग के सचिव डाॅ एन॰ सरवण कुमार द्वारा आज बामेती, पटना के सभागार में निर्यात के लिए बिहार के चिह्नित उत्पादों के पैकेजिंग का महत्व विषय पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में प्रवृत्तियों और प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी का प्रसार करना, पैकेजिंग के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और नवीन पैकेजिंग डिजाइन और विकास, मानकीकरण आदि के उपयोग के साथ निर्यात बाजार को बढ़ावा देना है। सचिव, कृषि विभाग बिहार ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार सरकार द्वारा कई पहल की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप बिहार में कृषि उत्पाद के उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हुई है। राज्य में खाद्यान्न का उत्पादन बढ़कर 180 लाख मीट्रिक टन, सब्जियों का उत्पादन 179 लाख मीट्रिक टन और फलों का उत्पादन 50 लाख मीट्रिक टन हो गया है। उन्होंने ने कहा कि राज्य में कृषि उत्पादों में विविधता लाने के मामले में पर्याप्त प्रगति हुई है, जिसके कारण आज बिहार सब्जी उत्पादन में चैथे और फल उत्पादन में आठवें स्थान पर है। बिहार शाही लीची, जरदालु आम, कतरनी चावल, मगही पान, मिथिला मखाना आदि जैसे कई विशिष्ट कृषि और बागवानी उत्पादों का प्रमुख उत्पादक है, जिनके निर्यात की अपार संभावनाएँ हैं।
श्री कुमार ने बताया कि कृषि विपणन और मूल्यवर्धन के क्षेत्रों में विशेष रूप से काम करने के लिए वर्ष 2020 में कृषि विभाग में बिहार कृषि उत्पाद मूल्य संवर्धन प्रणाली डिवीजन नामक एक अलग डिवीजन का गठन किया गया है। इस प्रभाग के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय करके नीति निर्माण और कार्यान्वयन से संबंधित कई पहल की जा रही है। निर्यात के लिए पैकेजिंग के महत्व को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से कृषि वस्तुओं की पैकेजिंग आवश्यकताओं के संदर्भ में पैकेजिंग में विशेषज्ञता के साथ भारतीय पैकेजिंग संस्थान बिहार के निर्यातकों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करने के लिए कृषि विभाग का समर्थन करने के लिए एक आदर्श संगठन है। बिहार से कृषि जिंसों के निर्यात में बढ़ोत्तरी करने के लिए कौशल उन्नयन, ज्ञान हस्तांतरण के साथ-साथ तकनीकी जानकारी के प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए बावास डिवीजन आईआईपी मुंबई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार से कृषि-निर्यात प्रदर्शन में हाल के वर्षों में काफी सुधार हुआ है और वर्ष 2005-06 में कृषि-निर्यात 3 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2020-21 में लगभग 3,000 करोड़ रुपये हो गया है। कृषि जिंसों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में और तेजी लाने के लिए बिहार कृषि निर्यात नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। कृषि निर्यात नीति एक सक्षम वातावरण बनाकर और मूल्यवर्धन के स्तर को बढ़ाकर कृषि उत्पादों के निर्यात को और बढ़ाने में मदद करेगी और व्यापार सुविधा की सुविधा बढ़ायेंगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। कृषि निर्यात नीति के तहत राज्यस्तरीय निर्यात संवर्धन एवं सुविधा प्रकोष्ठ, राज्य/जिलास्तरीय संचालन समितियाँ, राज्य में कृषि-निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का प्रयास करेंगी। सेंटर फाॅर पेरिशबल कार्गो, अंतर्देशीय कंटेनर डिपो, निर्यात केंद्रित पैक हाउस और प्रसंस्करण अवसंरचना जैसी प्रमुख बुनियादी ढाँचा जैसी आवश्यकताओं की स्थापना करेगी। बिहार से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न हितधारकों अर्थात् उत्पादकों, एफपीसी, विभागों के कर्मचारियों, निर्यातकों, कृषि उद्यमियों आदि का क्षमता निर्माण और कौशल उन्नयन होगा।
डाॅ॰ तनवीर आलम, निदेशक, इण्डियन इंस्टीच्यूट आॅफ पैकेजिंग, मुम्बई ने कहा कि खाद्य पदार्थों के लिए एक वैकल्पिक पैकेजिंग प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है] जो विभिन्न वस्तुओं के लिए बाजार को आसानी से स्वीकार्य हो। इनमें से सबसे अधिक आवश्यकता एक आशाजनक गणितीय मॉडल का उपयोग करने की होती है, जो पैक किए गए उत्पाद के उपयोग की वास्तविक स्थितियों में सेल्फ जीवन की भविष्यवाणी करने में सक्षम होती है। इसके स्थान पर यदि पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाय तो पहले उत्पादों के लिए पैकेजिंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी, फिर उसे अनुकूल वातावरण में भंडारण करना पड़ेगा और फिर बार-बार उत्पादों की गुणवत्ता जाँच की व्यवस्था करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह संस्थान कई गतिविधियों में शामिल है जैसे परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन, प्रशिक्षण और शिक्षा, पैकेजिंग मानकीकरण पर परामर्श सेवाएँ, पैकेजिंग विनिर्देश तैयार करना, लागत में कमी आदि। संस्थान विश्व पैकेजिंग संगठन (डब्ल्यू॰पी॰ओ), एशियाई पैकेजिंग फेडरेशन (ए॰पी॰एफ॰), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आई॰टी॰सी॰), जेनेवा जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकायों से जुड़ा हुआ है और वैश्विक स्तर पर पैकेजिंग के समग्र विकास और विकास के लिए काम कर रहा है। इस पृष्ठभूमि के साथ, संस्थान ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यमियों के लिए पैकेजिंग के क्षेत्र में नवीनतम रुझानों और प्रौद्योगिकी की जानकारी का प्रसार करने के लिए एक कदम उठाया है।
इस मौके पर श्री रवीन्द्रनाथ राय, विशेष सचिव, कृषि विभाग-सह-निदेशक, बिहार कृषि उत्पाद मूल्य संबर्द्धन प्रणाली (बावास), श्री नन्द किशोर, निदेशक उद्यान, डाॅ॰ बादल देवांग, संयुक्त निदेशक इण्डियन इंस्टीच्यूट आॅफ पैकेजिंग, मुम्बई, श्री सनत कुमार जयपुरियार, उप निदेशक, बावास, बिहार के कृषि निर्यात से जुड़े उद्यमी, नाबार्ड एवं जीविका से जुड़े कृषक उत्पादक संगठन के सदस्यगण, बिहार के जी॰आई॰ टैग प्राप्त उत्पाद (कतरनी चावल, शाही लीची, जरदालू आम, मगही पान, मिथिला मखाना) तथा जैविक खेती करने वाले किसानगण मौजूद थे