जानिए गोंडी धर्म संस्कृति में इस महाव्रत का महत्व
रायपुर: विश्वभर में बेटा जौतिया महाव्रत(चील्हीडार)पर्व मनाया गया।इस अवसर पर गरियाबंद जिले के गोंडी धर्म संरक्षण समिति एवं छत्तीसगढ़ गोंड़वाना संघ के सयुंक्त तत्वाधान में देवभोग ब्लॉक ईकाई पोटापारा, लच्छीपुर, करलगुड़ा में भी बेटा जौतिया महाव्रत पर्व बड़ी हर्षोल्लास में मनाया गया।बकयादा सोशल डिस्टेंस का भी पालन किया गया।
यह महाव्रत विशेष रूप से गोंड़ जनजाति समुदाय द्वारा पूरे विश्व में मनाये जाने वाला पर्व है। यह एक प्रकार की व्रत ही है जो गोंड़ जनजाति समुदाय के माताएं अपने बेटे के लंबी आयु के लिये निर्जला उपवास रहकर मनाती है। इस बेटा जौतिया महाव्रत पर्व पर माताएं सात दिन पहले गेहूँ पौधे को जगाकर प्रतिदिन पूजा-अर्जना करते हुए महाव्रत के दिन सुबह से रातभर निर्जला उपवास रहकर अगले दिन सुबह जल स्नान करवाने पश्चात भोग प्रसाद, अन्न ग्रहण करती है।
गोंडी धर्म संस्कृति में इस महाव्रत का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन माताएं विधिवत निर्जला उपवास रहकर अपने बेटे-बेटियां की दीर्घायु , सुख समृद्धि के लिए प्राथर्ना करते है तथा परिवार की मंगलकामनाएं भी करते है। साथ ही रात्रिकालीन जागरण कर चिल्होमाता की विधिविधान से पूजा-पाठ करते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।इस तरह महाव्रत पर्व सम्पन्न होता है।
इस दौरान विशेष रूप से ब्लॉक ईकाई देवभोग गोंड़ी धर्म संस्कृति के पदाधिकारी धनसिंह मरकाम(संरक्षक), दिगाम्बर मरकाम(उपाध्यक्ष), रेखराज नेटी (प्रभारी) पद्मन ओटी (पुजारी), चेतनसिंह मरई पण्डा (पुजारी)दिलेश ओटी, चंद्रध्वज मरकाम, पूरनसिंह मरई, पदुलोचनसिंह ध्रुव ,जगमोहन नेताम पण्डा (पुजारी) कामसिंह ध्रुव, मानसिंह मरकाम(सह सचिव), बसंत मरकाम, डोमार मरकाम, बंशीधर सोरी, बासुदेव सोरी(पुजारी) एवं समस्त सगा समाज उपस्थित रहे।
छत्तीसगढ़ स्टेट ब्योरो चीफ उमेश यादव की रिपोर्ट Yadu News Nation