2020 के बाद भाजपा के औद्योगिक परिवर्तन की प्रक्रिया से घबराई नीतीश सरकार -मनोज शर्मा

पटना (रामजी प्रसाद ): भाजपा के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता श्री मनोज शर्मा ने बिहार सरकार के औद्योगिक नीति और बिहार सरकार की झूठ का पर्दा पर्दाफाश किया है। शुक्रवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय अटल बिहारी बाजपेई सभागार में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मनोज शर्मा ने बिहार में उद्योग की पिछड़ेपन और सरकार की गलत नीतियों को सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि कि किसी भी राज्य में उद्योग तभी लगता और पनपता है जब, वहां की नीतियां और कानून व्यवस्था बेहतर हो। बिहार में कानून व्यवस्था कंस्ट्रक्शन परमिट, श्रम कानून, पर्यावरण पंजीकरण, जमीन की उपलब्धता और सिंगल विंडो सिस्टम ध्वस्त है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव निवेशकों को प्रलोभन दे रहे हैं तो वह उनके साथ धोखा कर रहे है। नीतीश कुमार को पता है कि उद्योगपति ‘लालू आतंक’ से डर रहे है। उसी डर को खत्म करने के लिए इन्वेस्टर्स मीट बुलाई गई थी।

श्री शर्मा ने कहा कि निवेश के लिए आवश्यक तत्वों में सुरक्षा तथा राजनीतिक स्थिरता सबसे महत्वपूर्ण है और महागठबंधन की सरकार में उपरोक्त दोनों कंपोनेंट्स का पूर्ण अभाव है। मुख्यमंत्री द्वारा तेजस्वी को बिहार का भविष्य घोषित कर दिए जाने के बाद से पूंजी निवेशकों के मन में आशंकाओं का जन्म हो गया है और इसलिए उनके मन में घबराहट है जो अब दिखने लगा है। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही प्रदेश में कानून व्यवस्था की बड़ी समस्याएं सामने आने लगी है। बेगूसराय सहित पूरे बिहार जिस प्रकार से गोली बारी, हत्याएं और लूट की घटनाएं बढ़ी हैं, बिहार से निवेशकों के मन में खौफ बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि कल पटना के दियारा क्षेत्र में 1000 से ज्यादा राउंड गोलियां चली हैं जो नीतीश कुमार के सुशासन के एजेंडे तथा उनकी गिरती हुई साख की निशानी है।

श्री शर्मा ने आगे कहा कि 2020 के चुनाव के बाद जब उद्योग विभाग 2005 के बाद ही पहली बार भाजपा के पास आया और शाहनवाज हुसैन जी के नेतृत्व में बिहार में बेहतर काम होने लगा था तब आपको किस बात ने हमसे अलग होने पर विवश किया? क्या आपको भाजपा के नेतृत्व में अच्छे से हो रहे कार्यों को देखा नहीं गया और आप उन्हीं की गोद में जाकर बैठ गए जिनका शासनकाल बिहार में पूंजी निवेश के बाहर हो जाने का प्रमाण था और वही ठीक करने के लिए जनता ने आपको मैंडेट दिया था? 2020 से पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2006, 2011 और 2016 में बिहार को लेकर तीन औद्योगिक नीति बनाई गई थी। किसी मे बिहार सरकार को कोई सफलता नही मिली थी। जब उद्योग विभाग भाजपा के जिम्मे आया और 2022 औद्योगिक नीति लायी गयी तो निवेशक आकर्षित हुए और निवेश में दिलचस्पी दिखाई। इसको लेकर श्री शहनवाज हुसैन जी काफी मेहनत की थी। भाजपा के तरफ से लायी गई औद्योगिक परिवर्तन की प्रक्रिया से नीतीश सरकार घबरा गई। आनन फानन में इस तरह का आयोजन कर रहे है। जो बिल्कुल ही अपरिपक्व है।

श्री शर्मा ने कहा कि वर्ष 2006 में जिन 400 से ज्यादा लोगों ने सरकार में भाजपा के होने पर भरोसा कर बिहार में निवेश किया था, उनका 600 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया नहीं चुकाया गया। निवेशकों ने सब्सिडी और अनुदान का बकाया पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ी, लेकिन अदालत में हार कर भी सरकार ने बकाया नहीं चुकाया। जब उद्योग विभाग के बजट में निवेशकों के लिए अनुदान नाम मात्र का है और उसे भी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाने की नौबत आती हो, तब सरकार किसी का विश्वास कैसे जीत सकती है।
श्री शर्मा ने कहा कि पटना में आयोजित बिहार इन्वेस्टर्स मीट में बिहार के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई नए विजन, नए आइडियाज और नए इन्वेस्टर्स नजर नहीं आए। उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री, डीजीपी, मुख्य सचिव, उप मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री सब सिर्फ निवेशकों का डर खत्म करने में जुटे रहे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज बिहार इन्वेस्टर्स मीट बुलाकर सिर्फ निवेशकों का डर खत्म करने की कोशिश की गई। सब ने निवेशकों यही कहा कि बिहार में डरने की जरूरत नहीं है। आखिर यह नौबत क्यों आ गई? श्री मनोज शर्मा ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अन्य लोग यह ना भूले कि बिहार में उद्योग का माहौल बेहतर करने में आज जो बिहार में निवेशक आने शुरू हुए हैं, उसमें भाजपा का बड़ा योगदान है। आधे अधूरे विजन और बिना तैयारी के साथ जिस तरह से इन्वेस्टर्स मीट की गई, उससे साफ पता चल रहा था कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कितनी जल्दी बाजी में है। उदाहरण के तौर पर लॉजिस्टिक पॉलिसी पहले से प्रस्तावित थी लेकिन, सरकार ने अब तक इसकी मंजूरी नहीं दी, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। बियाड़ा में कई तरह के रिफॉर्म्स प्रस्तावित थे लेकिन, उसे पूरा किए बिना इन्वेस्टर मीट बुला ली गई। कल जिस तरह से सरकारी खरीद में बिहार के बने उत्पादों को प्राथमिकता देने के लिए नई पॉलिसी लाने की बात की गई, यह प्रस्ताव पहले से ही उद्योग विभाग द्वारा राज्य सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा गया था। लेकिन, बिहार सरकार ने अभी तक स्वीकृत नहीं किया।

श्री शर्मा ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और हास्यप्रद यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन्वेस्टर्स मीट में आए प्रतिनिधियों से चुनावी रैलियों की तरह हाथ उठाकर पूछा कि कोई दिक्कत तो नहीं, बिहार में उद्योग को कोई डर तो नहीं। आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिसके साथ हैं उसके आतंक से परिचित हैं और अब उसे आत्मसाथ करके चल रहे हैं। तो लोगों को लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसमें सफल नहीं हो पाएंगे।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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