चंडीगढ़: बीजेपी छोड़कर जब नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में आए तो उनका कद काफी बढ़ा हुआ माना जा रहा था, लेकिन अब वो धीरे-धीरे कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं। पंजाब कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद तो पहले ही खत्म हो चुकी थी, जिसके बाद उनको लग रहा था कि संगठन में अहम जिम्मेदारी मिलेगी, लेकिन अब वहां पर भी निराशा हाथ लगी है। जिसके बाद इशारों ही इशारों में सिद्धू ने ट्वीट कर एक बड़ी बात कह दी है। दरअसल कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनना चाह रहे थे। प्रदेश अध्यक्ष का पद इस वक्त इसलिए भी अहम है क्योंकि अगले साल राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं। 15 महीने पहले कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कार्यकारिणी को भंग तो कर दिया था, लेकिन सिद्धू की वजह से उसका गठन नहीं हो पाया। हालांकि अब पार्टी ने कार्यकारिणी गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और ये भी साफ किया कि उसमें बदलाव नहीं होगा। जिस वजह से सिद्धू की इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया। वहीं इस खबर के बाहर आने के बाद सिद्धू ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि ख्वाहिशें मेरी ‘अधूरी’ ही सही पर कोशिशें मैं ‘पूरी’ करता हूं । वैसे इस ट्वीट में सिद्धू ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन इसे पार्टी कार्यकारिणी के फैसले से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के कहने पर हाईकमान ने सिद्धू को पार्टी के कार्यकारिणी में सेट करने की कोशिश की, लेकिन सीएम अमरिंदर सिंह नहीं माने। वो सिद्धू को कैबिनेट में लेने को तैयार थे, लेकिन उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में एक नहीं थे। बाद में प्रशांत किशोर की भी एंट्री हो गई। उन्होंने जल्द कार्यकारिणी बनाए जाने की बात कही। जिस पर ये प्रक्रिया शुरू हो गई, लेकिन सिद्धू को ना तो कैबिनेट में जगह मिली और ना ही कार्यकारिणी में।