“जीवन जीने की कला” प्रवचन आयोजित

अपने भीतर उज्जवलता एवं निर्मलता का विकास हो -मुनि प्रशांत

सापटग्राम (वर्धमान जैन): मुनिश्री प्रशांत कुमार जी मुनि श्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में मां काली मंदिर में “जीवन जीने की कला” पर प्रवचन आयोजित हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा -असम में पहली बार आना हुआ।हम अपने प्रवचन में जीवन जीने की सीख देते है।हमारा जीवन आदर्श बनें, जीवन की समस्या दूर हो। व्यक्ति सही रास्ते पर आगे बढ़े। सत्संगत से व्यक्ति की आदतों में, विचारों में परिवर्तन आता है।अच्छी संगत से सुख शान्ति मिलती है। साधु-संतों की सन्निधि से जीवन में बहुत कुछ परिवर्तन आता है। व्यक्ति बहुत सारी बूराईयो से बच जाता है।नशा जीवन के लिए बहुत खतरनाक होता है। व्यक्ति के जीवन एवं मन मस्तिष्क को बिगाड़ देता है।आज की युवा पीढ़ी नशें की गिरफ्त में बढ़ती जा रही है। आदमी को अच्छी जिंदगी जीनी चाहिए। इस सर्वश्रेष्ठ जीवन को, बुद्धि को अच्छे कार्य में लगाएं तो व्यक्ति जीवन में बहुत कुछ अच्छा कर पाता है।नशा एवं मांसाहार इंसान के लिए अच्छा नहीं है। सभी प्राणी को जीने का अधिकार है हमें महान मनुष्य जन्म मिला है इसका सदुपयोग करें। जीवन में ज्ञान को ग्रहण करें। हमारी आत्मा में शीतलता आ जाए। हमारे भीतर उज्जवलता एवं निर्मलता का विकास हो। नशा करना एवं गुस्सा करना दोनों ही जीवन के लिए हानिकारक है। महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लें।मन पर हमारा कन्ट्रोल होना चाहिए। अपने मन, विचारों, आदतों पर अनुशासन करें।अपने विचार को अच्छा बनाए तो जीवन जीने का आनन्द आ जाता है। जीवन को जीने की कला आ जाए तो जीवन सुखदाई बन जाता है।


मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने कहा – जीवन को जीना कोई बड़ी बात नहीं है। जीवन को कैसे जीना यह कला हमें आनी चाहिए। हमारे जीवन व्यवहार में संयम, सादगी आ जाए। विचारों में उच्चता हो तो आचरण अपने आप प्रेरक बन जाता है। गुरुदेव श्री तुलसी ने नारा दिया – इंसान पहले इंसान फिर हिंदू या मुसलमान। अहिंसा,सत्य, मांसाहार एवं नशामुक्ति का जीवन व्यक्ति को मानवतावादी जीवन-शैली की ओर ले जाता है। जीवन में करुणा, दया,संयम का भाव बढ़ता है।हमारा स्वभाव अच्छा बनता है। व्यक्ति अपने लिए, परिवार एवं समाज के हित में कार्य करता रहें। धरती पर रहकर जीवन जीना आना बहुत जरुरी है तभी इस मनुष्य जीवन की सार्थकता है। श्रीमती चंदा लूणिया ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। कमलसिंह जैन ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन उदित लूणिया ने किया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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