नई दिल्ली : हरियाणा के सोनीपत में बनी कफ सीरप पीने से तथाकथित तौर पर बच्चों की मौत का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. यह मामला सामने आने के बाद सोनीपत की दवा निर्माता एक कंपनी घेरे में आ गई है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आशंका जाहिर करने के बाद सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. अंग्रेजी की वेबसाइट एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी थी कि उन्हें पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत से जोड़ा जा सकता है. इसके बाद सरकार ने हरियाणा स्थित एक फार्मास्युटिकल फर्म द्वारा निर्मित चार कफ सीरप की जांच शुरू कर दी है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने 29 सितंबर को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को कफ सीरप के बारे में आगाह किया है. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने तुरंत मामले को हरियाणा नियामक प्राधिकरण के सामने उठाया और इसकी विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है. सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी की ओर से दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कफ सीरप का निर्माण हरियाणा के सोनीपत में मेडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड द्वारा किया गया है. उन्होंने कहा कि इस बिंदु पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, ऐसा लगता है कि फर्म ने इन उत्पादों को केवल गाम्बिया को निर्यात किया था. कंपनी ने अभी तक आरोपों का जवाब नहीं दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के सोनीपत स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड एक कार्यालय दिल्ली में भी स्थित है. कफ सीरप से बच्चों की मौत का मामला प्रकाश में आने के बाद गुरुवार को दिल्ली के पीतमपुरा स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल का प्रशासनिक कार्यालय बंद पाया गया. रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि हो सकता है कि यह सीरप पश्चिमी अफ्रीकी देश के बाहर भी भेजी गई हो, जिससे एक वैश्विक खतरा पैदा होने की आशंका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ ने गाम्बिया में चिह्नित की गईं उन चार दूषित दवाओं के लिए अलर्ट जारी किया है, जिनके कारण गुर्दे को गंभीर नुकसान से 66 बच्चों की मौत होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत परिवारों के लिए एक हृदय विदारक घटना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि ये चार दवाएं भारत में उत्पादित कफ सीरप हैं. हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने बयान जारी करके साफ कर दिया कि दूषित उत्पादों का अब तक केवल गाम्बिया में पता चला है, इसलिए उन्हें अन्य देशों में वितरित किया जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में कंपनी और नियामक प्राधिकरणों के साथ जांच कर रहा है. गांबिया की मेडिकल अनुसंधान परिषद ने भी चेतावनी जारी की है. परिषद ने बयान जारी करके कहा कि पिछले हफ्ते हमने किडनी में घाव से ग्रस्त एक बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन वह मर गई. हम यह पुष्टि करने में सक्षम हैं कि अस्ताल में भर्ती कराये जाने से पहले उसने उनमें से एक दवा ली थी, जिसके वजह से ऐसा होने की आशंका है. इस दवा को गाम्बिया में खरीदा गया था.
गांबिया की मेडिकल अनुसंधान परिषद ने कहा कि पहचानी गई दवाओं में पर्याप्त मात्रा में विषैला पदार्थ पाया गया है, जो किडनी को अपूरणीय क्षति पहुंचाता है. दूषित दवा को लेकर भारत सरकार और हरियाणा सरकार मिलकर जांच कर रही है. नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि जांच में 23 नमूनों में से अब तक चार को दूषित पाया गया है और भारत सरकार रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रही है. दवा निर्माता कंपनी मैडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड के मुख्यालय पर फोन किया गया, तो इसका कोई जवाब नहीं मिला. मीडिया के सवालों का भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और संघीय नियामक ने भी कोई जवाब नहीं दिया है.