नागपुर: नागपुर के संघ मुख्यालय में परंपरागत ढंग से विजयादशमी शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे. साथ ही मुख्य अतिथि के तौर पर पद्मश्री संतोष यादव उपस्थित थी. बता दे कि पहली बार आरएसएस के किसी कार्यक्रम में महिला मुख्य अतिथि थी. इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित किया. आइये जानते है उनके भाषण के महत्वपूर्ण बातें…,
1. हमें अपनी महिलाओं को सशक्त बनाना होगा. महिलाओं के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता है.
2. विश्व में हमारी प्रतिष्ठा और साख बढ़ी है. जिस तरह हमने श्रीलंका की मदद की, और यूक्रेन-रूस संघर्ष के दौरान हमारे रुख से पता चलता है कि हमें सुना जा रहा है.
3. जो हमारे सनातन धर्म में बाधा डालती है, वह उन शक्तियों द्वारा निर्मित होती है जो भारत की एकता और प्रगति के विरोधी हैं.
4. हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौट रही है. विश्व अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगा.
5. खेलों में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं. परिवर्तन दुनिया का नियम है, लेकिन सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए.
6. यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है. मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीति बननी चाहिए यह अत्यंत उचित विचार है, और नयी शिक्षा नीति के तहत उस ओर शासन/ प्रशासन पर्याप्त ध्यान भी दे रहा है.
7. जनसंख्या नीति सारी बातों का समग्र व एकात्म विचार करके बने, सभी पर समान रूप से लागू हो, लोकप्रबोधन द्वारा इसके पूर्ण पालन की मानसिकता बनानी होगी. तभी जनसंख्या नियंत्रण के नियम परिणाम ला सकेंगे.
8. संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, परन्तु सामाजिक समता को लाये बिना वास्तविक व टिकाऊ परिवर्तन नहीं आयेगा ऐसी चेतावनी पूज्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी ने हम सबको दी थी.
9. संघ पूरे समाज को एक संगठित शक्ति, हिंदू संगठन के रूप में विकसित करने के लिए काम करता है. हम उन सभी को संगठित करते हैं जो हिंदू धर्म, संस्कृति, समाज और हिंदू राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की रक्षा के इस विचार को स्वीकार करते हैं.
10. उदयपुर घटना के बाद मुस्लिम समाज में से भी कुछ प्रमुख व्यक्तियों ने अपना निषेध प्रगट किया. यह निषेध अपवाद बन कर ना रह जाए अपितु अधिकांश मुस्लिम समाज का यह स्वभाव बनना चाहिए. हिन्दू समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसी घटना घटने पर हिंदू पर आरोप लगे तो भी मुखरता से विरोध और निषेध प्रगट करता है.