टिटिलागढ (बर्धमान जैन): आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन टिटिलागढ में नमस्कार महामंत्र साधना और प्रयोग सप्ताह के अंतर्गत आज उपकारी है उपाध्यक्ष इस विषय पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा – नमस्कार महामंत्र सत्य तथ्य का अखुट भंडार है । उस सत्य को समझने के लिए सद्भाग्य गुरु कृपा से ही मिलता है। पंच परमेष्ठि के चतुर्थ पद को सुशोभित करने वाले उपाध्यायों को नमस्कार किया गया है।
उपाध्यायों को नमस्कार का करने का अर्थ है ज्ञान को नमस्कार। वे द्वादशांगी के प्रवक्ता होते हैं। ज्ञान संपदा, संघ संपदा, आत्मविद्या का संरक्षण करते हैं। उपाध्याय प्रतिभा सम्पन्न बहुश्रुत होते हैं। श्रुत के अक्षय भंडार होते हैं। अध्यात्म विद्या से परिचित होने के लिए इनकी शरण लेनी चाहिए।
उपाध्यायों का जप जीवन में उत्कर्ष लाता है।अशुभ चिंतन के निवारण के लिए और शुभ चिन्तन के विकास के लिए आनंद केन्द्र पर तीस मिनट ध्यान करने से मानसिक आल्हाद, प्रसन्नता की प्राप्ति और प्रमोद भावना में वृद्धि होती है। णमो उवज्झायाणं पद के निरंतर विधि सहित जप करने से गणधर पद की भी प्राप्ति संभव है ।
मुनिरमेश कुमार ने आज जैन धर्म के प्रभावशाली मानतुंगाचार्य द्वारा विरचित नमस्कार महामंत्र स्तवन में उल्लेखित सात वार के साथ , तिथियों के साथ ग्रह शांति के लिए कब कैसे कितना जप करना चाहिए इसकी जानकारी भी दी । नमस्कार महामंत्र के चतुर्थ पद उपाध्याय के न्यास पद्धति से जप ध्यान कैसे करें इसका प्रयोग भी कराया।