प्रतियोगिता से होता ज्ञान का विकास -मुनि श्री प्रशांत कुमार
कांटाबांजी (बर्धमान जैन): मुनि श्री प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य एवं मुनि श्री कुमुद कुमार जी की प्रस्तुति में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा वन मिनट प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- हमें अन्य विकास के साथ जीवन में ज्ञान का विकास भी करना चाहिए । प्रवचन जीवन की सबसे अमूल्य खुराक होती है। प्रवचन देने वाला अपने आत्मविकास के साथ साथ पर कल्याण का कार्य भी करता है। प्रवचन को ध्यान से सुनें तो कुछ बातें याद रख सकते है। ज्ञान को समझने,सीखने, जानने की कोशिश करनी चाहिए उससे ज्ञान बढ़ता है।
ज्ञान प्राप्ति की दिशा में उठाया गया कदम जीवन एवं संसार की वास्तविकताओं से परिचित करा देता है। जीवन का यथार्थ स्वरूप समझने का भाव भीतर में रहना चाहिए। भीतर में जिज्ञासा का भाव होना चाहिए कि मुझे सीखना है, मुझे अपने ज्ञान को आगे बढ़ाना है। अपनी कमी को दूर करना है। स्वाध्याय के द्वारा भी बहुत अच्छी जानकारी प्राप्त हो सकती है। कौनसी पुस्तक पढ़नी है यह विवेक भी होना जरूरी है। जिस पुस्तक से जीवन में संस्कारों का विकास हो।
अपने व्यवहार, आदतों में परिवर्तन आए एवं सुखद जीवन का निर्माण हो वह जरुरी है। ज्ञान के बिना अंधेरा ही अंधेरा है। बहुत लोग मिथ्या धारणा में जीते है। ज्ञान सम्यग् होना चाहिए। प्रत्येक श्रावक को नवतत्व, पांच इंद्रिय एवं छः काय को समझना चाहिए। भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत अनावश्यक पाप से बचाते है। प्रतियोगिता ज्ञान के विकास के लिए होती है ।
कन्या मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मुनि कुमुद कुमार जी ने प्रतियोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। समय पालक की भूमिका अमित जैन ने पूर्ण की। आभार ज्ञापन महिला मण्डल अध्यक्ष श्रीमती बाॅबी जैन ने किया। प्रतियोगिता तीन चरणों में आयोजित हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती स्मिता जैन एवं श्रीमती बाॅबी जैन ने किया।