व्यक्तित्व विकास कार्यशाला

संकल्प पूर्वक कार्य से होता व्यक्तित्व का विकास -मुनि प्रशांत

कांटाबांजी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य मुनि कुमुद कुमार जी के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद द्वारा व्यक्तित्व विकास कार्यशाला मोटिवेशनल स्पीकर निहारिका सिंधि की प्रस्तुती में आयोजित हुई। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- कैसे हम अपने जीवन को सफल, प्रेरणादायी बनाए । हर व्यक्ति के भीतर में बहुत सी क्षमताएं होती हैं । जैन दर्शन में बताया कि हर व्यक्ति के भीतर मे असीम क्षमताएं है । हम चाहे जितना अपना विकास कर सकते हैं। देवीय शक्ति से ज्यादा मनुष्य में क्षमता होती है। मशीनी यंत्र का जो विकास हुआ है उसमें जैन दर्शन की बड़ी भूमिका है। जैन दर्शन वैज्ञानिक दर्शन है। जैन आगमों में व्यक्तित्व को विकसित करने के अनेक सूत्र मिलते है। जिंदगी में कुछ बनना है तो अपने आप को व्यक्ति प्रतिस्रोत में ले जाएं। जीवन मे आने वाली समस्याओं का सामना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। हमे अपने विचारों पर भी नियंत्रण रखना चाहिए। हम सही दिशा में आगे बढ़े । हमे अपनी ऊर्जा का विकास करना है। हमे चिंतन करना चाहिए कि मुझे जिंदगी को कैसा जीना है। मनुष्य अपनी जिंदगी को व्यर्थ के कार्यों में, चिंतन में न लगाएं । भौतिक पदार्थ के पीछे अपने समय एवं ऊर्जा को व्यय न करें। भारतीय दर्शन में जीवन विकास के सूत्र मिलते है। सिर्फ पैसे से हमारा विकास नही होता है। जीवन की सही दिशा मे हमारा दृष्टिकोण बना रहे। बच्चो का जीवन विकास के रास्ते पर कैसे आगे बढ़े । हर व्यक्ति सपना देखता है, ओर पूरा करने की इच्छा रखता है । प्रयत्न, लग्न, निष्ठा से व्यक्ति जीवन मे बहुत कुछ पा सकता है । संकल्प पूर्वक कार्य करने से सफल व्यक्तित्व का निर्माण होता है। सुश्री निहारिका सिंघी ने व्यक्तित्व विकास के लिए अनेक सूत्र बताए उसे जीवन मे जरूर अपनाएं। निहारिका ने अल्पायु मे अच्छा विकास किया है।

मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा- हर व्यक्ति जीवन में सुखी रहना चाहता है। सुख पाने के लिए व्यक्ति बाहर की ओर खोज करता है। सुख बाहर नही भीतर मे है, साधन में नही साधना में है। सुखी रहने के लिए प्रामाणिकता का जीवन जिए। जैसे है वैसे ही जीने का प्रयास करें । वही सोचे, कहे एवं बोले जो हम कर सकते हैं। वर्तमान ही हमारे भविष्य का निर्माण करता है। जो व्यक्ति वर्तमान में सुखी नही है उसका भविष्य सुखद बन नही सकता। हमारा वर्तमान का पुरुषार्थ ही हमारा भविष्य बनाता है। जो व्यक्ति भीतर में रहकर बाहरी जीवन जीता है, वह अपने आप में सुखी जीवन जीने की कला सीख लेता है। अधिक खाना, अधिक सोना एवं अधिक चिंतन करने वाला शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ नही रह पाता है। जीवन में आने वाली समस्या को जीवन का हिस्सा मानने वाला व्यक्ति प्रत्येक समस्या का समाधान सही तरीके से ढूंढ लेता है।

मोटिवेशनल स्पीकर निहारिका सिंधि ने कहा-हमारी जिंदगी में खाना, सोना एवं व्यायाम का संतुलन होना बहुत जरूरी है। व्यक्ति खुद के बारे में चिंतन करें मैं कौन हूँ, मैं क्या कर रहा हूँ, मैं किसलिए कर रहा हूँ। स्वयं को पहचानने की कोशिश करें जिससे जीवन में बदलाव आता है। अपना रोना न रोए । निराशा, हताशा में जीने वाला व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ सकता। जब भी जीवन में कोई समस्या आए तो उसका समाधान स्वयं से ढूंढे। अपनी क्षमता को पहचान कर उसके अनुरूप अपने कार्यो को करते जाएं। अच्छी पुस्तक पढ़े जिससे मन को खुराक मिल सके। व्यक्ति के जीवन मे जो भी वस्तु या व्यक्ति होते है वह उसकी कभी कद्र नही करता। वही व्यक्ति या वस्तु जब जीवन से दूर हो जाए तभी व्यक्ति उसका मूल्य समझ पाता है। व्यक्तित्व विकास के लिए स्मार्टफोन की तरह अपने आप को स्मार्ट बनाए। हमारे हर कार्य मे सफलता प्राप्ति का ध्येय होना चाहिए। हमारा सफल व्यक्तित्व ऐसा हो की औरो के लिए प्रेरक बने ।

मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया विषय प्रस्तुति विकास जैन ने दी, मोटिवेशनल स्पीकर का परिचय सभा के मंत्री सुमीत जैन ने दिया, पुष्प सिंघी ने कविता प्रस्तुत की, सुश्री निहारिका सिंघी का अर्पण जैन एवं गौरव जैन ने मोमेंटो से सम्मानित किया, आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री गौरव जैन ने किया । कार्यक्रम का कुशल संचालन तेयुप अध्यक्ष अंकित जैन ने किया ।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

𝘌𝘥𝘪𝘵𝘰𝘳, 𝘠𝘢𝘥𝘶 𝘕𝘦𝘸𝘴 𝘕𝘢𝘵𝘪𝘰𝘯 ✉yadunewsnation@gmail.com

http://yadunewsnation.in