नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर इन दिनों बच्चों की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं. इन दिनों बड़ी संख्या में बच्चों और किशोरों की फेसबुक, इंस्टाग्राम पर सक्रियता बढ़ी है. उम्र की इस दहलीज पर नई दुनिया से रू-ब-रू होने का यह एक खूबसूरत जरिया है, लेकिन इसका दुखद पहलू भी है. दरअसल, बच्चों की सेहत, खासकर मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है. मंगलवार को अमेरिका के सर्जन जनरल डॉ विवेक मूर्ति ने बच्चों पर सोशल मीडिया के संभावित जोखिमों को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसमें उन्होंने अमेरिका के नीति-निर्माताओं व प्रौद्योगिकी कंपनियों से इस संबंध में बच्चों -किशोरों के लिए मानकों को मजबूत करने का आग्रह किया है.
अमेरिका के सर्जन जनरल डॉ विवेक मूर्ति ने तकनीकी कंपनियों से उन बच्चों के लिए सूक्ष्म सुरक्षा उपाय करने का अनुरोध किया है, जो मस्तिष्क के विकास के महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं. उनका मानना है कि सोशल मीडिया के इस दौर में हम एक राष्ट्रीय युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट के दौर से भी गुजर रहे हैं. उन्होंने इस पर तत्काल फोकस करने को कहा है. एडवाइजरी में एक सर्वेक्षण के हवाले से बताया गया है कि सोशल मीडिया किस कदर बच्चों-किशोरों के खाने के व्यवहार व नींद से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है. बच्चों को समाज से अलग-थलग करने के साथ ही आत्ममुग्धता और आत्मग्लानि भी पैदा करता है. यह किसी भी स्वस्थ समाज के लिए चिंताजनक है. यह एडवाइजरी ऐसे समय में आयी है, जब सोशल मीडिया को बच्चों व किशोरों लिए सुरक्षित बनाने के प्रयास दुनियाभर में किये जा रहे हैं. मिसाल के लिए यूनाइटेड किंगडम ने ऑनलाइन सेफ्टी बिल जैसे कानून को बनाया है.
रिपोर्ट कहती है कि मस्तिष्क के विकास की अत्यधिक संवेदनशील अवधि 10 और 19 वर्ष की आयु के बीच होती है. महत्वपूर्ण बात है कि 13 से 17 वर्ष के 95 प्रतिशत तक और आठ से 12 वर्ष के लगभग 40 प्रतिशत सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं. ऐसे प्लेटफार्मों का लगातार उपयोग मस्तिष्क के विकास को को प्रभावित कर सकता है. भावनात्मक शिक्षा, आवेग नियंत्रण और सामाजिक व्यवहार से जुड़े क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है.
डॉ विवेक मूर्ति ने यह भी चेतावनी दी है कि 13 वर्ष की आयु भी सोशल मीडिया से जुड़ने के लिए बहुत छोटी है. उन्होंने कहा कि यह उम्र युवाओं के आत्म-मूल्य और उनके रिश्तों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है. कहा कि मैंने जो आंकड़ा देखा है, उसके आधार पर मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि 13 वर्ष की आयु बहुत इससे जुड़ने के लिए उचित नहीं है. सोशल मीडिया का अक्सर विकृत रहने वाला वातावरण इस आयुवर्ग को भटका सकता है. मानसिक अवसाद पैदा कर सकता है.
रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका को सुरक्षित और स्वस्थ डिजिटल वातावरण बनाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और उनकी सुरक्षा हो सके. डॉ मूर्ति की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, वे सार्वजनिक बहस को गति दे सकती हैं और सांसदों और नियामकों को साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं ताकि उन्हें किसी मुद्दे को संबोधित करने में मदद मिल सके.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बच्चों के लिए कुछ जोखिम पेश करते हैं. इनमें ऑनलाइन डराना-धमकाना और उत्पीड़न, गलत सूचना और अनुचित सामग्री के संपर्क में आना, निजता का उल्लंघन और अत्यधिक उपयोग शामिल है.
अमेरिका में सर्जन जनरल देश के डॉक्टर होते हैं. उन्हें अमेरिकियों को उनके स्वास्थ्य को लेकर सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक जानकारी देने का जिम्मा सौंपा गया है. बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि अमेरिका इस संबंध में क्या कदम उठाता है.