विश्व टूना दिवस (World Tuna Day) हर साल 2 मई को विश्व स्तर पर मनाया जाता है. यह दिन संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा टूना मछली के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया है. यह 2017 में पहली बार मनाया गया है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व में कई देश खाद्य सुरक्षा और पोषण दोनों के लिए टूना मछली पर निर्भर है. वर्तमान में 96 से अधिक देशों में टूना मछली पालन किया जाता है, और इनकी क्षमता लगातार बढ़ रही है.
विश्व टूना दिवस का इतिहास
विश्व टूना दिवस को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा दिसंबर 2016 में 71/124 के प्रस्ताव को ग्रहण कर आधिकारिक रूप से घोषित किया गया था. इसका उद्देश्य संरक्षण प्रबंधन के महत्व को स्पष्ट करना और यह सुनिश्चित करना था कि टूना स्टॉक को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने के लिए एक प्रणाली की आवश्यकता है. पहली बार 2 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विश्व टूना दिवस मनाया गया.
आखिर क्यों है इसे खतरा
टूना की पूरे विश्व में भारी मांग है. हर देश मे इसके सर्वाधिक ग्राहक हैं, जिसके चलते बीते कुछ वर्षों में लोगों की मांग की तुलना में मछलियों की पूर्ति में अभाव दिखा है, जिसके बाद से इस मछली के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है. पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर इस मछली का शिकार किया जाता है, ताकि मानव जरूरतों की पूर्ति की जा सके, मगर अफसोस बीते कुछ वर्षों से जिस तरह से इस मछली का शिकार तेजी से बढा है, उससे इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.
कहां पाई जाती है टूना मछली
सबसे ज्यादा टूना मछली भूमध्य सागर, अंटलाटिक, प्रशांत महासागर में पाई जाती है. टूना की 40 से भी ज्यादा प्रजातियां शामिल हैं, लेकिन लगातार टूना के होते शिकार से अब यह विलुप्ति के कागार पर पहुंच चुकी हैं, लिहाजा इन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए ही हर वर्ष 2 मई को ‘वर्ल्ड टूना डे’ मनाया जाता है.