विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा चीन और पाकिस्तान की सेना के बीच भारतीय सीमा पर नापाक गठजोड़ है। उनका कहना है कि दोनों के बीच यह लिंक अब कमजोर हो गया है और इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने की कगार पर है और चीन अपने ‘आयरन ब्रदर’ को बेलआउट पैकेज देने के लिए इच्छुक नहीं नजर आ रहा है। उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते तब और ज्यादा खराब हो सकते हैं जब आईएमएफ पाकिस्तान को यह कहे कि वह चीन से लिए कर्ज को रिस्ट्रक्चर करे।
पाकिस्तान की कंगाली, भारत के लिए बड़ा मौका
विशेषज्ञों के मुताबिक इस बात की संभावना न के बराबर है कि चीन अपने कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने के लिए तैयार हो। उन्होंने कहा कि चीन के साथ खराब रिश्ते और आर्थिक बदहाली पाकिस्तान को भारत के साथ बेहद खर्चीला युद्ध छेड़ने से रोके रखेगी। पाकिस्तान इससे पहले यह रणनीति अपनाता था कि चीन की सेना के साथ दोस्ती बढ़ाकर भारत को निशाने पर बनाए रखा जाए। भारतीय सेना के कमांडर पिछले कई दशक से अभी ढाई मोर्चे चीन, पाकिस्तान और आतंकवाद से निपटने पर योजना बनाते रहे हैं।
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पाकिस्तान के दिवालिया होने और चीन से खराब रिश्ते से भारतीय सेना को राहत मिल सकती है। डिफॉल्ट हो चुके श्रीलंका के कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने में चीन ने कई महीने का समय लिया। अब आईएमएफ ने संकेत दिया है कि वह पाकिस्तान को भी कहेगा कि वह अपने विदेशी कर्जों को रिस्ट्रक्चर करे। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पाकिस्तान इस तरह की राहत के लिए गुहार लगाता है तो चीन इसके लिए आसानी से तैयार नहीं होगा। पाकिस्तान पर चीन का करीब 40 अरब डॉलर का लोन है जो उसके कुल कर्ज का लगभग 30 प्रतिशत है।
चीन के सीपीईसी पर लग सकता है ताला
श्रीलंका के कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने के लिए चीन तब तैयार हुआ जब भारत ने आईएमएफ को आश्वासन देकर ड्रैगन को दबाव में ला दिया था। इसके बाद किसी तरह से चीन कर्ज रिस्ट्रक्चर करने को शर्तों के साथ तैयार हुआ। इस बीच अमेरिका भी लगातार पाकिस्तान पर दबाव डाले हुए है कि वह चीन से कर्ज को रिस्ट्रक्चर करे। अमेरिका पाकिस्तान के ईरान के साथ चल रहे ऊर्जा सहयोग से खुश नहीं है। चीन ने सीपीईसी परियोजना के नाम पर अरबों डॉलर का कर्ज भिखारी पाकिस्तान को दिया है। चीन पीओके में एक रणनीतिक रोड बना रहा है जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया है।
इन सभी परियोजनाओं से पाकिस्तान के लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। पाकिस्तान को अभी कुछ महीने में चीन के डेढ़ अरब डॉलर को लौटाना है लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रहा है। ऐसे में अब पूरे सीपीईसी प्रॉजेक्ट के भविष्य पर ही सवालिया निशान लग गया है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन अब हिंद महासागर तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक रास्ते की तलाश में लग सकता है।