महागठबन्धन के पक्ष में जबरदस्त उत्साह: मिलेगा बहुमत, लेकिन सावधानी जरूरी

पटना: मतदान कार्य को संपन्न हो गये हैं लेकिन अभी भी आम लोगों को, गरीबों और मध्यम वर्ग को भाजपा के साजिश से सावधान रहना होगा । फसल लूट की तर्ज पर भाजपा अब वोटों की लूट करेगी, इसके लिए ईवीएम सज धज कर तैयार हैं। सरकारी मशीनरी भी तैयार है । सारा खेल चल रहा है कि किसी प्रकार भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरा जाए। इस रणनीति का फिलहाल तेजस्वी यादव के पास काट नहीं दिख रही है। वैसे बिहार की जनता में बदलाव का जबरदस्त संकल्प है और एनडीए के खिलाफ गुस्सा भी दिख रहा है।

यह आक्रोश महागठबन्धन के पक्ष में है और बिहार की जनता निर्णायक जनादेश महागठबन्धन को ही दे रही है। लेकिन अभी भी पूरी सावधानी बरतने का समय है। कारण कि अंतिम 74 सीटों का मतदान होना बाकी है और नीतीश कुमार ने इमोशनल कार्ड खेल दिया है। अभी देखा जा रहा है की भाजपा जदयू के चुप्पा वोटर अपना काम शांति पूर्वक कर रहे हैं। ईवीएम मशीनें भी सावधानी पूर्वक भाजपा जदयू के पक्ष में इस्तेमाल की जा रही हैं।

भाजपा के अंदर खाने से मिली खबरों के अनुसार अभी मुख्यतः दो बिंदुओं पर ही साजिश की जा रही है। पहली साजिश है कि भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरा जाए, फिर उसको राज्यपाल की ओर से सरकार बनाने का आमंत्रण दिया जाए ।जब आमंत्रण मिल जाए तो कांग्रेस और राजद के विधायकों को तोड़कर बहुमत जुटा लिया जाए । इस दिशा में गुजरात से आए फंड मैनेजर पिछले 15 दिनों से काफी सक्रिय हो गए हैं । दूसरी धारा है कि तेजस्वी सरकार को बनने दिया जाए और इसी बहाने नीतीश कुमार को पहले साफ कर दिया जाए। उनकी राजनीति पारी का अंत कर दिया जाए। जदयू को खत्म कर दिया जाए। इसके बाद अनुभव विहीन तेजस्वी यादव को आसानी से 2 साल के अंदर विभिन्न आरोप, पहले की गई गड़बड़ियों में उलझा कर और विभिन्न जांच एजेंसियों से तबाह कर निपटा दिया जाए।
भाजपा के लिए दोनों रास्ते बिल्कुल आसान हैं और खुले हुए हैं।

राजद और कांग्रेस से टूटने वाले संभावित विधायकों की खोज भी पूरी कर ली गई है और न्यूनतम देश मूल्य ₹10 करोड़ के आधार पर खरीददार और घूमने लगे हैं। यह सब लोकतंत्र के लिए भले ही नहीं हो, लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि तैयार फसल को काटने में उनकी पार्टी का कोई जोड़ा नहीं है। फसल भले ही वामदल और राजद लगाएं, काटने के लिए तो गुजराती गैंग के धूर्त व्यापारी ही आ जाएंगे और सबसे बड़ी बात है कि वे आ भी गए हैं। उन्होंने जीतने वाले सभी संभावित उम्मीदवारों को चिन्हित भी कर लिया है। वैसे तीसरे चरण में जहाँ चुनाव है, वहीं से पलायन सबसे ज्यादा है।

लोकडाउन में मोदी-नीतीश सरकार ने जो किया उसके खिलाफ सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी बिहार में काफी गुस्सा है। पहले व दूसरे चरण की तरह तीसरे चरण में भी बिहार की जनता भाजपा-जदयू सरकार को सबक सिखाएगी।
आखिरी समय मे नीतीश जी ने कहा कि उनका यह आखिरी चुनाव है, फिर सफाई भी दी. यह भी कहा कि अंत भला तो सब भला। इसका मतलब है नीतीश जी खुद मान रहे हैं कि पिछले 2 चरणों मे जो हुआ, वह अच्छा नहीं रहा अथवा विगत 15 वर्षों से बिहार में जो चल रहा है, वह अच्छा नहीं है। जो हो, बिहार ने तो तय कर लिया है कि यह नीतीश जी का आखिरी चुनाव है और 10 नवम्बर को उनकी विदाई तय है। मोदी जी ने भी चिट्ठी तक लिख डाली। वाल्मिकी नगर में बोल कर गए कि कश्मीर को भ्र्ष्टाचार से मुक्त कर देंगे। अब बिहार चुनाव का कश्मीर से क्या संबंध है, किसी को समझ मे नहीं आया का। यह टिप्पणी उन्होंने नीतीश कुमार के लिए की थी।

नीतीश ने NRC और NPR के मामले में सफाई देने की कोशिश की। लेकिन वे 15 साल से भाजपा की ही राजनीत को बढ़ावा देने का काम किया है। नीतीश कुमार भाजपा से कोई अलग नहीं है। यह बहुत स्पष्ट है।
चुनाव बाद हम देख रहे हैं कि भाजपा-जदयू समर्थित अपराधियों ने महागठबंधन के कार्यकर्ताओं और आम लोगों पर हमला बोल दिया है। चुनाव परिणाम सभी को स्वीकार्य होना चाहिए। पंजाब के किसानों के खिलाफ मोदी सरकार ने इकोनोमिक ब्लॉकेज कर दिया है। झारखण्ड सरकार को वे जीएसटी में पर्याप्त हिस्सा नहीं दे रहे हैं।बिहार में भी कल महागठवन्धन की सरकार बनती है तो क्या मोदी सरकार बिहार के साथ भी वैसा ही करेंगी। यह भी माना जाता है कि भाजपा की सरकार बनेगी तब भी बिहार का शोषण और लूट जारी रहेगा।

पटना से रामजी प्रसाद की रिपोर्ट Yadu News Nation

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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