महान योगी थे आचार्य श्री महाप्रज्ञ -मुनि प्रशांत
श्रीभूमि (बर्धमान जैन): आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 106 वां जन्मदिवस के आयोजन को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा- आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एक महान अध्यात्म योगी संत थे। उनकी योग साधना अत्यंत गहन थी। स्वयं प्रयोगधर्मा पुरुष थे।आगम आधारित योग साधना के सूत्र को गहराई से आत्मसात कर स्वयं ने प्रयोग करके साधु साध्वी को प्रयोग करवाएं। प्रेक्षाध्यान पद्धति का अविष्कार किया। प्रेक्षाध्यान को वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान किया। ध्यान के विविध प्रयोग जनता के सामने प्रस्तुत किये। भगवद् गीता में बताया गया स्थितप्रज्ञता का स्वरूप उनके जीवन में साकार दिखाई देता था।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ की अन्तर्प्रज्ञा जागृत थी। उनके भीतर में ज्ञान का चक्षु खुल चुका था। उन्होंने जो साहित्य की धारा प्रवाहित की उससे अनेक प्रबुद्ध व्यक्ति प्रभावित हुए। उनके साहित्य में प्रत्येक समस्या का समाधान मिलता है। राजनीतिज्ञ, प्रशासनिक सामाजिक सभी स्तर के व्यक्तियों ने उनसे बहुत कुछ प्राप्त किया।उनका चिंतन हमेशा सकारात्मक रहा। उनके अवदानों की स्मृति ही नहीं करें, उनके उपदेशों को जीवन में लाने का प्रयास किया जाएं।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा- खुले आकाश में जन्म लेने वाले बालक नत्थु ने खुले आकाश जैसी ही विराटता को प्राप्त किया।विनय और गुरु के प्रति समर्पण के तो वे मूर्तिमान स्वरूप थे। गुरु के प्रति समर्पण, पुरुषार्थ के बल पर वे आगे बढ़ते गए।उनका दृष्टिकोण ओर चिंतन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक था। व्यवहार करुणामय था। उनके पास आने वाले हर व्यक्ति को एक नई प्रेरणा नया मार्गदर्शन मिलता था।
तेरापंथ सभा मंत्री विवेक लालाणी, तेरापंथ युवक परिषद से कर्ण नाहटा, तेरापंथ महिला मंडल, श्रीमती कांता गंग, श्रीमती सूरज पुगलिया ने गीत एवं व्यक्तव्य के द्वारा अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने किया।