भारत में पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. इसके बाद केरल समेत कई अन्य राज्यों ने भी पीएफआई को गैरकानूनी संघ घोषित कर दिया. साथ ही केरल उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार को प्रतिबंधित पीएफआई पर एक और प्रहार किया है. बीते 23 सितंबर को पीएफआई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्य सड़क परिवहन निगम की संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए दो सप्ताह के भीतर 5.2 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया.
केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को अवैध हड़ताल के संबंध में राज्य में दर्ज सभी मामलों में पीएफआई के राज्य सचिव अब्दुल सत्तार को आरोपी बनाने का भी आदेश दिया. साथ ही निचली अदालतों को आंदोलन से जुड़ी मामलों में जमानत अर्जी पर विचार करने का निर्देश दिया कि वे जमानत पाने के लिए हुई क्षति के बराबर राशि जमा करें.
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पीएफआई से इन तरीकों से प्राप्त धन जमा किए जाये और संगठन के बड़े नेता इस नुकसान की भरपाई के लिए उत्तरदायी होंगे. साथ ही अदालत ने कहा कि राज्य सरकार हड़ताल के दौरान प्रदर्शनों और सड़क अवरोधों को रोकने के लिए पर्याप्त कार्रवाई करने में विफल रही और अदालत द्वारा हड़ताल के दिन आदेश जारी करने के बाद ही कार्रवाई की गई.
गुजरात एटीएस ने भी बीते गुरुवार को अहमदाबाद और वडोदरा में दो मस्जिदों को सील कर दिया. एटीएस की ओर से बयान में कहा गया कि इस मस्जिद का भारत में प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के लिंक मिला है. एटीएस के एक अधिकारी ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि पीएफआई से जुड़ी अखिल भारतीय इमाम परिषद की बैठक इन जगहों पर हुई थी. जिसपर कार्रवाई करते हुए वडोदरा के पानीगेट इलाके में आयशा मस्जिद और अहमदाबाद के दानिलिमदा इलाके में वालिडेन मस्जिद को सील किया गया है.