तेरापंथ युवक परिषद द्वारा दीपावली पूजन कार्यशाला
कांटाबांजी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य मुनि कुमुद कुमार जी के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद द्वारा दीपावली पूजन कार्यशाला आयोजित हुई। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमारजी ने कहा – द्रव्य मंगल से भावमंगल श्रेष्ठ होता है। द्रव्य पूजा में पदार्थ का योग होता है लेकिन भाव पूजा में मूल तत्व के साथ जुडाव होता है। दीपावली पूजन को हम मंगल मानते है। मंगल भावों से जीवन मंगलमय बनता है। यदि मांगलिक कार्यो में असंयम, हिंसात्मक प्रवृति जुड़ जाती है तो मांगलिक कार्य को अमांगलिक कर देते है। मन की खुशी के लिए पटाखे फोडे जाते है। किसी को मारकर खुशी मनाना संस्कार एवं सभ्यता नही हो सकती। ये अमानवीयता है। अमंगल करके मंगल की कामना करना व्यर्थ है। दूसरो की पीडा को अपनी पीडा समझने वाला ही मानवीय दृष्टिकोण होता है। जैनत्व के संस्कारों की अनुपालना वर्तमान में बहुत अपेक्षित है। जैन समाज को अपनी अहिंसा की संस्कृति का गौरव समझते हुए जैन संस्कार विधि का ही प्रयोग करना चाहिए। आचार्य श्री तुलसी ने बड़ी दूरदर्शिता से चिंतन कर जैन संस्कार विधि जनता के लिए प्रस्तुत की। यह स्वस्थ समाज निर्माण की दिशा में एक स्वस्थ कदम है। विकास के नाम पर मूलभूत संस्कारों को गौण नही करना चाहिए । जहां सिद्धांत एवं संस्कारों के नाम पर समझोता होता है वहां समस्या पैदा होती है। सामाजिक, पारिवारिक कार्यक्रमों में रीति-रिवाजो में जितनी सादगी रहेगी उतना ही समाज उन्नति की ओर बढ़ेगा। अपनी लक्ष्मी का दुरुपयोग न करके समाज हित में उसका उपयोग करना चाहिए। तेले की आराधना, पौषध व्रत एवं जपयोग के साथ भगवान महावीर का निर्वाण दिवस मनाना चाहिए। संयम सादगी हमारी पहचान रहें।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा- जैन धर्म में दीपावली का संबंध प्रभु महावीर के निर्माण से जुड़ा है। भगवान ने अहिंसा का संदेश दिया। समन्वय की बात कही। हम भगवान के निर्वाणोत्सव को अहिंसक तरीके से आडम्बर रहित विधि से मनाएं। जैन संस्कार विधि हमारे संस्कार की जड़ो को मजबूत बनाती है। हम किसी भी परम्परा, धर्म का विरोध किए बिना अपने संस्कार सभ्यता को आत्मसात करें। भगवान ने अपनी साधना से केवलज्ञान प्राप्त किया, मोक्ष मंजिल की प्राप्ति की। प्रभु महावीर की साधना, शिक्षा से प्रेरणा प्राप्त कर हम भी अपने जीवन में अज्ञान रूपी अंधेरे को दूर कर ज्ञान को प्राप्त करें। वर्तमान में हमारी जीवन शैली में संस्कृति का स्थान विकृति ने ले लिया है। त्यौहारों में फूहडपन डांस, शराब की संस्कृति बढती जा रही है। हम महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर जीवन को गरिमामय बनाएं।
मीडियाप्रभारी अविनाश जैन ने बताया-संस्कारक शुभंकर जैन एवं सहयोगी ऋषभ एन जैन ने जैन विधि से दीपावली पूजन कैसे किया जाता है ? प्रायोगिक रूप से मंत्रों का लाभ, भावार्थ के साथ बताते हुए विधि विधान का कार्य पूरा किया। कन्या मण्डल ने महावीर अष्टकम् , तेयुप ने विजयगीत की प्रस्तुती दी। तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष अंकित जैन ने स्वागत व्यक्तव्य दिया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन तेयुप शाखा प्रभारी गौतम जैन ने किया। संस्कारक, सहयोगी संस्कारक एवं शाखा प्रभारी का तेयुप द्वारा सम्मान किया गया। आभार तेयुप मंत्री गौरव जैन ने किया। मुनि कुमुद कुमार जी द्वारा जैन विधि से दीपावली पूजन की अनेक जिज्ञासाओं का समाधान दिया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन ऋषभ के जैन ने किया।