इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी तीसरी पत्नी बुशरा बीवी पर इस्लामाबाद के कोहसर थाने में तोशाखाना मामले में धोखाधड़ी का एक और केस दर्ज किया गया है. पाकिस्तान के दुभाषिया खबरिया चैनल एआरवाई न्यूज की ओर से बुधवार को दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, कोहसर थाने में दर्ज कराए गए केस में आरोप लगाया है कि तोशाखाना से उपहार से मिली वस्तुओं की बिक्री में फर्जी रसीद बनाने का आरोप लगाया है.
गिफ्ट का सामान बेचने के लिए बनाया फर्जी रसीद
एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीवी, शहजाद अकबर, जुल्फी बुखारी और फराह गोगी के खिलाफ तोशाखाना से उपहार में मिली वस्तु की बिक्री के लिए फर्जी रसीद बनवाने और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दायर किया गया है. थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, इमरान खान ने तोशाखाना का उपहार खरीदने और बेचने के लिए फर्जी रसीद का इस्तेमाल किया था. इतना ही नहीं, उपहार के सामानों की बिक्री के बदले किए गए लेन-देन का दावा करने के लिए अवैध तरीके से जाली हस्ताक्षर भी किए गए थे.
घड़ी विक्रेता की शिकायत पर मुकदमा किया गया दर्ज
एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीवी के खिलाफ एक घड़ी विक्रेता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया है. शिकायतकर्ता का दावा है कि पूछताछ से पता चला कि आरोपी ने अपनी दुकान के एक फर्जी लेटरहेड पर अपने नाम से नकली चालान बनाए थे, जिसका इस्तेमाल तोशाखाना के उपहार को बेचने के लिए किया गया था. आरोप यह भी लगाया गया है कि इमरान खान तोशाखाना से हासिल किए गए उपहारों की जानकारी नहीं दे पाए. यह उपहार उन्हें तब मिला था, जब वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे. आरोप है कि उन्हें एक प्रधानमंत्री के तौर पर विदेश से मिले उपहार को तोशाखाने (सरकारी खजाना) से निकालकर बेच दिया.
इमरान खान ने अधिकारियों को किया गुमराह
तोशखाना मामले में लगाए जा रहे आरोप के अनुसार, इमरान खान के खिलाफ अदालती कार्यवाही इसलिए शुरू की गई, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले उपहारों के बारे में अधिकारियों को कथित तौर पर गुमराह किया. आरोप यह भी लगाया गया है कि इमरान खान ने वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में प्राप्त तोशाखाना उपहारों से संबंधित जानकारी को जानबूझकर छुपाया था. आरोप यह है कि उन्होंने वर्ष 2017-18 और 2018-19 में दाखिल संपत्ति और कर्ज के बारे में जमा किए गए हलफनामे में इन बातों की जानकारी नहीं दी.