India Pakistan News: न अमेरिका, न यूरोप, कंगाली से निकलने में भारत कर सकता है पाकिस्‍तान की मदद, शहबाज को पाकिस्‍तानी मीडिया की नसीहत – can india really help pakistan to overcome from its biggest economic crisis

लाहौर: शुक्रवार को पाकिस्‍तान में लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में भारत के डिप्‍टी हाई कमिश्‍नर सुरेश कुमार भी मौजूद थे। आर्थिक संकट के बीच आयोजित इस कार्यक्रम में इस बात पर चर्चा हुई कि क्‍या दशकों पुरानी कड़वाहट भुलाकर भारत, पाकिस्‍तान की मदद कर सकता है। इस कार्यक्रम में जो सलाह दी गई है उसके मुताबिक दोनों पक्षों को तेज आर्थिक विकास के लिए एक-दूसरे के साथ आना चाहिए। साल 2019 से ही दोनों देशों के बीच संपर्क बंद है और कई लोग इस बात को कह चुके हैं कि पाकिस्‍तान को अगर आगे बढ़ना है तो फिर भारत से मदद लेनी होगी। कई विशेषज्ञों ने भारत की प्रगति का उदाहरण भी दिया।

भारत का एक कदम बदल सकता तकदीर
सुरेश कुमार ने कार्यक्रम में कहा कि भारत हमेशा पाकिस्‍तान के साथ अच्‍छे रिश्‍ते चाहता है क्‍योंकि भूगोल को बदला नहीं जा सकता है। उन्‍होंने इस दौरान व्‍यापारिक संबंधों को भी सामान्‍य करने की बात कही। सुरेश कुमार ने कहा कि भारत हमेशा से मध्‍य एशिया के बाजारों पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहता था और पाकिस्‍तान इसमें सहयोग कर सकता था।

यह बात भी काफी ध्‍यान देने वाली है कि लाहौर चैंबर की तरफ से कार्यक्रम में किसी भारतीय अधिकारी को बुलाया गया था। पाकिस्‍तानी मीडिया की मानें तो इस कार्यक्रम में संबंधों को बेहतर करने की बात करना अपने आप में काफी अहम बात है। मीडिया ने साल 2019 के बाद से हुए घटनाक्रमों के बाद इस कार्यक्रम को स्‍वागत करने वाला कदम करार दिया है। मीडिया का मानना है कि यह कहीं न कहीं यह बताता है कि पाकिस्‍तान खराब रिश्‍तों से आगे बढ़ाना चाहता है।
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अमेरिका और ईयू हुए कमजोर
पाक मीडिया के मुताबिक उसने हमेशा से ही भारत के साथ बेहतर रिश्‍तों की बात कही है। अखबार डॉन का कहना है कि भारत और पड़ोस में स्थित दूसरे देशों के साथ अच्‍छे रिश्‍ते पाकिस्‍तान के ही हित में हैं। मीडिया की मानें तो पाकिस्तान के आर्थिक रिश्‍ते उसके प्रमुख पश्चिमी साथियों खासकर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन (EU) के साथ कमजोर होते जा रहे हैं। साथ ही इन देशों की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी होती नजर आने लगी है। ऐसे में यह जरूरी है कि क्षेत्रीय व्यापारिक भागीदारों के साथ वर्तमान में धीमे पड़ चुके या बंद हो गए रास्‍तों को फिर से खोला जाए और रिश्‍तों में सुधार किया जाए।

मीडिया ने किया सेना का जिक्र

भारत के साथ मजबूत व्यापार संबंध स्थापित करने के लिए पिछले कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन ये सभी कोशिशें फेल हो गई। पाकिस्‍तान की मीडिया की मानें तो इन कोशिशों की वजह से ही सेना के रिश्‍ते भी सफल नहीं हुए। साथ ही सेना ने भी इन संबंधों को खराब करने में सक्रिय भूमिका निभाई है। लेकिन इसके बाद भी पूर्व आर्मी चीफ जनरल (रिटायर्ड) कमर जावेद बाजवा ने कई बार भारत के साथ बेहतर रिश्‍तों की बात कही। अब उनकी इस अपील पर वर्तमान जनरल आसिम मुनीर कितना अमल करते हैं, ये बात देखने वाली होगी। चुनाव के बाद पाकिस्‍तान में जब कोई नई सरकार जिम्‍मा संभालेंगी तभी भारत के साथ किसी नई ट्रेड पॉलिसी पर कोई फैसला लिया जा सकता है। भारत में भी चुनाव होने हैं और ऐसे में वहां पर किस तरह से फैसला लिया जाएगा, इस पर भी सबकी नजरें रहेंगी।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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