pakistan terrorism, Pakistan TTP Attack: टीटीपी आतंकियों का असली टारगेट पाकिस्‍तानी सेना, रास्‍ते में आ रहे पुलिसफोर्स, समझें आतंकी हमलों की पहेली – how islamic terrorists are making target police force in pakistan

पेशाप : उत्‍तरी-पश्चिमी पाकिस्‍तान इस समय भारी अस्थिरता से गुजर रहा है। देश में जारी आर्थिक संकट का फायदा आतंकी जमकर उठा रहे हैं। यहां पर पुलिस पोस्‍ट पर तैनात पुलिस के जवानों को नहीं मालूम कि कब कौन सा आतंकी उन्‍हें निशाना बना देगा। खैबर पख्‍तूनख्‍वां में आतंकी फिर से मजबूत होने लगे हैं। यहां की प्रांतीय पुलिस को पिछले कुछ दिनों में निशाना बनाया गया है। इसके पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान (TTP) के आतंकियों का जिम्‍मेदार बताया जा रहा है।खैबर पख्‍तूनख्‍वां में ऐसी कई दर्जन पुलिस पोस्‍ट हैं जहां पर आतंकियों ने दोबारा हमले किए हैं। यह हिस्‍सा अफगानिस्‍तान से सटा है जहां पर तालिबान का नियंत्रण है। यहां के कई इलाके टीटीपी के आतंकियों के सबसे आदर्श जगहें हैं।

कई दर्जन पुलिस पोस्‍ट्स पर हमले
टीटीपी सुन्‍नी आतंकियों का मुख्‍य संगठन है। पिछले महीने पेशावर की एक मस्जिद पर आतंकी हमला हुआ और उस हमले में 80 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले की जिम्‍मेदारी टीटीपी से जुड़े जमात-उल-अहरार ने ली थी। कई सीनियर पुलिस ऑफिसर्स की मानें तो पुलिस फोर्स इस समय कई जवानों की जान जाने वाले नुकसान को झेल रही है। रिसोर्सिंग और लॉजिस्टिक्‍स की कमी ने आतंकी हमलों के डर को और बढ़ा दिया है। पाकिस्‍तान के अधिकारी इन सभी चुनौतियों को स्‍वीकार करते हैं। लेकिन वहीं वो इस बात को भी स्‍वीकारते हैं कि पुलिस बल की क्षमताओं को खराब आर्थिक संकट के बीच बेहतर करने की कोशिशें जारी हैं।
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अब स्‍नाइपर अटैक भी हुए आम

पाकिस्‍तान की पुलिस फोर्स पिछले कई सालों से आतंकियों का सामना कर रही है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2001 से लेकर अब तक 2100 से ज्‍यादा पुलिसकर्मियों की जान गई है। वहीं सात हजार से ज्‍यादा कर्मी हमलों में घायल हुए हैं। लेकिन इसके बाद भी पुलिस फोर्स कभी आतंकियों के एजेंडे में नहीं रही। मगर अब यहां पर आतंकी पुलिसफोर्स को ही निशाना बना रहे हैं। मंजूर शहीद आउटपोस्‍ट पर तैनात असिस्टेंट सब इनस्‍पेक्‍ट जमील शाह के मुताबिक पुलिस ने आतंकियों को पेशावर आने से रोका है। यहां की सरबानद और आठ आउपोस्‍ट्स को आतंकियों ने चार बार बड़े हमलों में निशाना बनाया है। साथ ही यहां पर कई बार स्‍नाइपर्स ने भी हमले किए हैं।
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तीन साल में सबसे ज्‍यादा मौतें
खैबर में साल 2022 में 119 पुलिस कर्मियों की जान गई। जबकि साल 2021 में 54, साल 2020 में 21 और इस साल यानी 2023 में अभी दो महीने में ही 102 पुलिसकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से ज्‍यादातर पुलिसकर्मियों की जान मस्जिद में हुए बम ब्‍लास्‍ट्स में गई है। 17 फरवरी को कराची में भी उस समय कुछ पुलिस कर्मियों की जान गई जब आतंकी एक पुलिस ऑफिस में द‍ाखिल हो गए। इस हमले में चार सुरक्षाबलों की जान गई जबकि तीन आतंकी भी ढेर हुए।
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इसलिए पुलिस फोर्स बन रही निशाना
टीटीपी की तरफ से पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया जा रहा है। इसने कसम खाई है कि संगठन पाकिस्‍तान में शरिया कानून लागू करके रहेगा। टीटीपी के प्रवक्‍ता मोहम्‍मद खुरसानी की मानें तो उनका मुख्‍य टारगेट पाकिस्‍तान की मिलिट्री है। टारगेट तक पहुंचने में पुलिस उनके रास्‍ते में बाधा बन रही है और ऐसे में उन्‍हें रास्‍ते से हटाना पड़ रहा है। खुरसानी की मानें तो उनकी तरफ से पहले ही कहा गया था कि उनके रास्‍ते में न आए मगर उनकी नहीं सुनी गई और अब उन्‍हें जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

संसाधन की कमी से मुश्किलें बढ़ीं
खैबर की पुलिस के साथ मिलकर मिलिट्री ने ऑपरेशंस चलाए जो टीटीपी के हमलों को झेलना पड़ा। दिसंबर में टीटीपी ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया था जिसे जानबूझकर रिकॉर्ड किया गया था। इसमें टीटीपी ने चेतावनी दी थी कि ‘हम आ रहे हैं।’ टीटीपी दिखाना चाहती है कि उसके आतंकी अपने इलाकों से बाहर निकलकर भी अपना प्रभाव दिखा सकते हैं। पाक इंस्‍टीट्यूट फॉर पीस स्‍टडीज के डायरेक्‍टर आमिर राणा की मानें तो इस युद्ध में प्रपोगैंडा सबसे बड़ा हिस्‍सा है और टीटीपी इसमें बेस्‍ट है। पहीं रिसोर्सेज की कमी स्थिति को और मुश्किल बना रही है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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