युद्धाभ्यास में इन देशों की सेना को लेना था हिस्सा
खबरों के अनुसार इस अभ्यास में सीएसटीओ के सदस्यों – रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के सैन्य कर्मी शामिल थे और सर्बिया, सीरिया तथा उज्बेकिस्तान समेत पांच और देशों को पर्यवेक्षकों के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इस युद्धाभ्यास में वो देश ही शामिल होने वाले थे, जिनकी रूस के साथ अच्छे संबंध हैं। इस युद्धाभ्यास को वैश्विक अलगाव के बीच रूस के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था।
पहले सोवियत संघ का हिस्सा था किर्गिस्तान
किर्गिस्तान पूर्व सोवियत संघ का देश है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद किर्गिस्तान का उदय हुआ था। आजादी के बाद से ही किर्गिस्तान और रूस के बीच संबंध काफी प्रगाढ़ हो गए थे। हाल में ही किर्गिस्तान और तजाकिस्तान के बीच हुई सैन्य झड़प में भी व्लादिमीर पुतिन के हस्तक्षेप के बाद ही संघर्ष विराम हो पाया था। किर्गिस्तान में रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है।
रूस और किर्गिस्तान के बीच कैसे हैं संबंध
रूस और किर्गिस्तान पड़ोसी देश हैं, जिनकी दोस्ती काफी मजबूत है। रूस का बिश्केक में एक दूतावास और ओश में एक वाणिज्य दूतावास है, और किर्गिस्तान का मास्को में एक दूतावास, एकातेरिनबर्ग में एक वाणिज्य दूतावास और नोवोसिबिर्स्क में एक उप-वाणिज्य दूतावास है। 1991 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने किर्गिस्तान की अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा की।
किर्गिस्तान में मौजूद है रूसी सेना
2003 में किर्गिस्तान ने बिश्केक के पूर्व में कांत एयर बेस पर रूसी एयर फोर्स को तैनात किया है। 20 सितंबर 2012 को, रूस और किर्गिस्तान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें रूस को 2017 से आगे के 15 वर्षों के लिए किर्गिस्तान में एक संयुक्त सैन्य अड्डा रखने की अनुमति है। इस समझौते पर व्लादिमीर पुतिन और अल्माज़बेक अताम्बायेव के बीच बिश्केक में हस्ताक्षर किए गए थे। रूस ने किर्गिस्तान को कई सैन्य हथियार दिए हैं, जिनमें एस-300 मिसाइल सिस्टम और स्ट्राइक ड्रोन महत्वपूर्ण हैं।