कविता: यादव

सनत कुमार यादव की कलम से यादवों के लिए नयी कविता

यदु कुल में
जन्में जन -मानस,
तू धीरवीर, रणवीर भी,
धर्म धरा के,
कर्म भूमि की,
तू शूरवीर, कर्मवीर भी ।।1।।

हे!
नंद के अंश बीज,
श्रीकृष्ण की साहस हो तुझमें,
और हो कंस का ताकत भी,
अतुलित बल छुपा है तुझमें,
एक नया गिरि गोवर्धन उठा,
अर्जुन की गाण्डीव सा ताण्डव,
तू निज ज्ञान से कोहराम मचा।।2।।

हे!
यादवी क्षत्राणी माता,
तू माता रोहणी, यशोदा भी,
हर घर में जन्में ईक बाला,
हो राधा रानी जैसा भी,
गौ रक्षक कुल प्रतिपालक सा,
ईक बालक भी तेरे कोख से हो,
पितृ ऋण से उऋण हो सके,
ऐसा सृष्टि रचाता चल,
हम जग सिरमौर्य बने,
नित रक्षा कवच बनाता चल ।।3।।

हे !
माधव के कुटुम्ब जन,
खुद बढेंऔरों को भी बढ़नें दें,
पैर न खींचना उसे थामना,
इस प्रकृति के छाया पर,
सूरज सा चमकेगा जब वो,
फक्र से गर्व करेगा,
ईक-ईक यादव भाई पर।।4।।

रचयिता:
✍🏾सनत कुमार यादव
(शिक्षक)
M.A.in Hindi, D.ed.
ग्राम – देवभोग, जिला – गरियाबंद
Sunil Kumar Dhangadamajhi

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