सिलचर में संतों का भावपूर्ण स्वागत

चातुर्मास में करें आध्यात्मिक विकास -मुनि प्रशांत कुमार

सिलचर (बर्धमान जैन): आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि प्रशांत कुमारजी मुनि कुमुद कुमारजी का सिलचर जैन भवन में अत्यन्त उत्साहपूर्ण वातावरण में भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ । स्वागत समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमारजी ने कहा- जीवन में मंगल का बड़ा महत्व होता है। जीवन में मंगल आचरण करने से जीवन मंगलमय बनता है । अपनी – अपनी क्षमता अनुसार संतो से कुछ ज्ञान ग्रहण करें और धार्मिक पुरुषार्थ करें तभी यह चातुर्मास आप सभी के लिए लाभदायी बन सकेगा । धर्म के प्रति श्रद्धा उत्साह होना अपने आप में शुभ है । जहां त्याग की भावना होती है वहां विकास के रास्ते खुल जाते है। चातुर्मास में अपने स्वार्थ का त्याग करके संयम की भावना बढ़ाएं। अपनी सुविधाओं को छोड़कर अध्यात्म के साथ जुड़ना ही चातुर्मास की निष्पति है।आपस मे सभी मिलकर सौहार्द के साथ रहें जिससे समाज का विकास हो।साधु का द्वार सभी के लिए खुला है।चारित्रात्मा सभी को कल्याणकारी बोध देते हैं लेने वाला अपनी – अपनी योग्यता से उसे ग्रहण करता है।अपने विचारों को खुला रखकर सम्यग ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए। यह चातुर्मास मानव जाति का है।सभी लोग इसका लाभ लें।श्रद्धा भक्ति , समर्पण से भवित ये सिलचर क्षेत्र में चातुर्मास करने आए। यह जागृति आगे से आगे बढ़ती रहें। इस चातुर्मास में भक्तामर, पैसठिया छंद का विशेष रूप से पाठ करना है । मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार जी का आत्मीय भाव हमेशा मिला है। लम्बे समय तक उनके साथ रहने का अवसर मिला है। मुनि रमेश कुमार जी का सौहार्द भाव मिलता रहा है।

मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा – संतो का आगमन सोई चेतना को जगाने वाला होता है।चातुर्मास केवल बड़े – बड़े आयोजनो से ही सफल नहीं होता ।संतों के चातुर्मास में तो तप – त्याग आदि आध्यात्मिक साधना चलनी चाहिए इसी से जीवन की सार्थकता फलीत होती है।ज्ञान,दर्शन,चरित्र और तप की आराधना चलती रहें। मासखमण ,अट्ठाई,तेले की साधना करें।चातुर्मास आत्मकल्याण में निमित्त बने अपने आचरण, व्यवहार, विचारों में परिवर्तन लाएं।तप ,त्याग,संवर ,सामायिक ,पौषध, ध्यान,जप कुछ न कुछ प्रयोग अवश्य करें। पच्चीस बोल,भक्तामर, श्रावक सम्बोध,प्रतिक्रमण इत्यादि को सीखने का मनोभाव रखें।

कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला मण्डल के मंगलाचरण से हुआ।सभा अध्यक्ष नवरत्न चौपड़ा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। मुनिश्री ज्ञानेन्द्र कुमारजी, मुनिश्री रमेश कुमार जी का मंगल संदेश का वाचन गुवाहाटी से समागत विकास महनोत ने किया। तेरापंथ सभा संरक्षक बुद्धमल बैद, मंदिरमार्गी समाज से ललित गुलेछा,जैन समिति अध्यक्ष मूलचंद बैद, जैन भवन ट्रस्ट अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन, गुवाहाटी से संयम छाजेड़, साधुमार्गी अध्यक्ष विजयराज सांड, दिगम्बर जैन पंचायत से राजकुमार जैन,ज्ञानगच्छ से धनराज बरडिया, धनराज सुराणा ,तेयुप अध्यक्ष भरत दुगड़, महिला मण्डल उपाध्यक्ष बबिता डागा,समता महिला मंडल एवं तेरापंथ महिला मंडल ने मुनिगण के प्रति अभिनन्दन स्वागत में भावपूर्ण वक्तव्य एवं गीतों की प्रस्तुती दी।कार्यक्रम का कुशल संयोजन सभा मंत्री तोलाराम गुलगुलिया ने किया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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