पवित्र भावों से जपाराधना करने से होता है कल्याण -मुनि प्रशांत
तेजपुर (बर्धमान जैन): आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री प्रशांत कुमार जी मुनिश्री कुमुद कुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा तेजपुर द्वारा सुख शांति समृद्धि अनुष्ठान आयोजित हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – वर्तमान में व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की समस्या है। शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, पारिवारिक उनसे मुक्त होने के लिए जैन धर्म में विभिन्न प्रकार के प्रयोग मिलते है।हम अपनी श्रद्धा को अरिहंत परमात्मा पर केंद्रित करें। उनके नाम के जप से हमारी कितनी कितनी बाधाएं दूर होती है। जैन धर्म में हजारों हज़ारों मंत्र है। जैन धर्म में मंत्र के साथ साथ तप का भी महत्व बताया है।मंत्र जप का प्रारंभ तो तप के साथ ही होना चाहिए। त्याग- प्रत्याख्यान के साथ सात्विक भोजन जप के समय किया जाता है तो जप में तल्लीनता भी आती है।मंत्र जप हमारे जीवन विकास में बहुत बड़ा सहायक होता है। भगवान पार्श्वनाथ के जप के प्रयोग बहुत मिलते है।मंत्र को सिद्ध करके जप किया जाता है तो उसका अलग ही प्रभाव होता है। साढ़े बारह हजार या सवा लाख जप से मंत्र सिद्ध किया जा सकता है। जैन धर्म में नवकार मंत्र को महामंत्र माना गया।यह महामंत्र शक्ति एवं ज्ञान का भण्डार है। आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने मंत्र के अनेक विधि एवं प्रयोग बताए जिनसे समस्या का समाधान मिलता है। तीर्थंकर भगवान को समर्पित भाव से वंदना करने के पश्चात उनकी शरण स्वीकार करके मंत्र साधना करने से हमारा उद्देश्य पूर्ण होता है। पवित्र भावों से जपाराधना करने से ही हमारा कल्याण होता है।मंत्र आराधना करने से जीवन में सुख शांति समृद्धि में विकास होता है।
मुनिश्री कुमुद कुमारजी ने कहा – जैन धर्म में आध्यात्मिक साधना आराधना का अपना महत्व है। आत्मशुद्धि एवं कर्म निर्जरा के लिए आध्यात्मिक साधना की जाती है। जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।मंत्र की शक्ति से व्यक्ति का मनोबल आत्मबल बढ़ता है।मंत्र शक्ति की अचिंत्य प्रभाव के हजारों हज़ारों प्रसंग मिलते है। आचार्य मानतुंग ने भक्तामर स्तोत्र की रचना की जिसका प्रत्यक्ष चमत्कार हुआ और आज भी हो रहा है। जयाचार्य द्वारा रचित गीतों ने अनेक उपद्रव को शांत किया है।विधि पूर्वक मंत्र की साधना की जाती है तो भावों का जुड़ाव होने के साथ साथ हमारा उद्देश्य पूरा होता है।
महिला मण्डल के मंगलाचरण से अनुष्ठान प्रारंभ हुआ।सभा अध्यक्ष सुरेश धारीवाल,खारुपेटिया से दीपक हीरावत ने विचारों की अभिव्यक्ति दी। अनुष्ठान को सफल बनाने में अर्हम् धारीवाल एवं अंकिता सेठिया का सहयोग प्राप्त हुआ। अनुष्ठान का संचालन मुनिश्री कुमुद कुमारजी ने किया। सभा मंत्री अशोक बोथरा ने आभार व्यक्त किया। अनुष्ठान में गुवाहाटी, मोरियाबाडी, धींग, नौगांव, मरियानी, जखलाबंधा, ढेकियाजुली, खारुपेटिया से श्रावक श्राविकाएं सहभागी बने।