कोलकाता (रजत बंशल): साहित्य अकादेमी ने कोलकाता पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय सभागार में नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती पर जन्म शताब्दी संगोष्ठी का आयोजन किया। स्वागत भाषण साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ के श्रीनिवासराव ने दिया। उन्होंने नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती के जीवन और कार्यों पर संक्षेप में बात की। परिचयात्मक भाषण में, साहित्य अकादमी के बाङ्ला परामर्श मंडल के संयोजक और पश्चिम बंगाल सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री श्री ब्रात्य बसु ने नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती के लेखन की विशिष्ट विशेषताओं पर बात की। संगोष्ठी का उद्घाटन साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य श्री शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय ने किया, जिन्होंने नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती के लेखन और उनके व्यक्तित्व के प्रति अपने आकर्षण के बारे में बताया। अपने भाषण में श्री अलापन बंद्योपाध्याय ने नीरेन्द्रनाथ के लेखन के संदर्भ पर विस्तार से चर्चा की तथा बताया कि किस तरह उन्होंने तत्कालीन बंगाली साहित्य को नया आकार देने में सफलता प्राप्त की। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने अध्यक्ष पद से बोलते हुए इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि नीरेन्द्रनाथ ने भारतीय साहित्य के महानतम लेखकों में से एक बनने का मार्ग कैसे प्रशस्त किया। साहित्य अकादेमी पूर्वी क्षेत्र के प्रभारी अधिकारी श्री क्षेत्रवासी नाएक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
पहला शैक्षणिक सत्र “नीरेन्द्रनाथ : व्यक्ति और उनका समय” पर केंद्रित था। सत्र में प्रोफेसर बारीदबरन घोष ने नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती के जीवन और लेखन पर दिलचस्प किस्से प्रस्तुत किए। प्रोफेसर चिन्मय गुहा ने नीरेन्द्रनाथ की जादुई भावुक लेखनी को उनके प्रमुख ग्रंथों के संदर्भों के साथ प्रस्तुत किया। श्री शेखर बसु ने आनंदमेला पत्रिका में नीरेन्द्रनाथ के संपादकत्व में काम करने के अपने अनुभवों पर बात की। दूसरा सत्र पत्रकार और संपादक के रूप में नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती पर केंद्रित था। श्री हर्ष दत्ता ने नीरेन्द्रनाथ को एक ऐसे संपादक के रूप में बताया जिन्होंने अपना कर्तव्य लगभग धार्मिक रूप से निभाया, श्री प्रचेत गुप्ता ने श्रोताओं को बताया कि वे नीरेन्द्रनाथ के लेखन से कैसे प्रभावित थे। प्रोफेसर पवित्र सरकार ने बताया कि नीरेन्द्रनाथ ने अपने लेखन और विचारों के माध्यम से किस तरह क्रांति ला दी। उन्होंने बाङ्ला भाषा में एक नए युग की शुरुआत करने का मार्ग प्रशस्त किया। इस कार्यक्रम में बहुत लेखक, साहित्य प्रेमी और बुद्धिजीवी शामिल हुए।