समाज की प्रगति में बुजुर्गों का योगदान हमेशा रहा है

● बुढ़ीपदर में अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस आयोजित

कलाहांडी: ओड़िशा के पश्चिमी क्षेत्र में एक कहावत है “खेत के मुडा, घर के बुडा”। यानी खेती के लिए तालाब जितना जरूरी, परिवार में बुजुर्गों की उतना ही जरूरत है। वरिष्ठ नागरिक निकम्मा नहीं हैं। समाज की प्रगति में उनका योगदान आवश्यक है। नेहरू युवा केंद्र (NYK) और देवगिरि सांस्कृतिक अनुष्ठान (DSA) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के अवसर पर युवा लेखक सुधीर कुमार धंगडामाझी ने यह बात कही।

कलाहांडी जिले के नर्ला ब्लॉक अधीन बुढ़ीपदर में आयोजित इस समारोह में नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक मिलन कुमार भोई संयोजन किया था। इस समारोह में देवगिरि सांस्कृतिक अनुष्ठान के संपादक सुनील कुमार धंगडामाझी ने अतिथि के तौर पर मौजूद थे, जबकि अनुष्ठान के अध्यक्ष संजय धंगडामाझी ने समारोह की अध्यक्षता की।

इसमें अनुष्ठान के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार धंगडामाझी, वरिष्ठ नागरिक उदयनाथ बाग, केशब धंगडामाझी, कोकिल पोढ, तनूरंजन धंगडामाझी, अर्जुन सुनानी, जाडु हरिजन, जगमणि गहीर, सागर हरिजन, गुण माझी, लोचन पोढ़, मुरली दास, चूड़ामणि नाएक, गजेंद्र लोहरा, बनबास बाग, विक्रम हरिजन आदि उपस्थित थे। आशुतोष धंगडामाझी, ब्रजेंद्र बेहेरा, बसंत लोहरा, स्वप्नेश्वर माझी, संजीव बेनिआँ ने सहयोग की।

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Sunil Kumar Dhangadamajhi

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