कौन था प्रह्लाद, जिसे उसके पिता ने कई बार की थी मारने की कोशिश

Story of Holi: हर साल हम होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, इसमें हर एज ग्रुप के लोग शामिल होते हैं. लेकिन यह देखा गया है कि त्योहार में शामिल लोगों को यह पता नहीं होता कि आखिर होली मनाई क्यों जाती है? होली के त्योहार से भक्त प्रह्लाद की कथा जुड़ी है, जिसे उसके अपने ही पिता ने कई बार मारने की कोशिश की थी. आइए हम आपको बताते हैं कि कौन था प्रह्लाद और क्यों उसके पिता ने उसे मारने की कोशिश की थी. प्रह्लाद की कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है. यह कहानी हमें यह बताती है कि अगर हम पूरे सचाई के साथ अपना जीवन जिएं तो भगवान हमेशा हमारी रक्षा करेगा.

वर्षों की तपस्या करने के बाद मिला वरदान

विष्णुपुराण के अनुसार एक राजा था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था. वर्षों की तपस्या करने के बाद उसे ब्रह्मा जी एक वरदान मिला था कि न दिन ना रात, न घर ना बाहर, न किसी मनुष्य न किसी जानवर से युद्ध के दौरान और न ही किसी धातु या लकड़ी से बने हथियार से वह मरेगा. उसके वरदान में यह भी शामिल था कि उसे ना तो जमीन पर और ना ही आसमान में मारा जा सकेगा. इस वरदान की वजह से वह काफी शक्तिशाली बन गया था और वह निर्बलों पर अत्याचार करने लगा था. वह बहुत ही घमंडी हो गया था और उसे यह प्रतीत होने लगा था कि वह अमर है. वह लोगों से अपनी पूजा करवाने लगा था.

Holi 2024: इस दिन होगी ब्रज में होली की शुरुआत, जानें क्यों है खास: Story of Holi: कौन था प्रह्लाद, जिसे उसके पिता ने कई बार की थी मारने की कोशिश

वर्षों की तपस्या करने के बाद मिला वरदान

विष्णुपुराण के अनुसार एक राजा था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था. वर्षों की तपस्या करने के बाद उसे ब्रह्मा जी एक वरदान मिला था कि न दिन ना रात, न घर ना बाहर, न किसी मनुष्य न किसी जानवर से युद्ध के दौरान और न ही किसी धातु या लकड़ी से बने हथियार से वह मरेगा. उसके वरदान में यह भी शामिल था कि उसे ना तो जमीन पर और ना ही आसमान में मारा जा सकेगा. इस वरदान की वजह से वह काफी शक्तिशाली बन गया था और वह निर्बलों पर अत्याचार करने लगा था. वह बहुत ही घमंडी हो गया था और उसे यह प्रतीत होने लगा था कि वह अमर है. वह लोगों से अपनी पूजा करवाने लगा था.

कई बार की जान से मारने की कोशिश

प्रह्लाद को मारने की पहली कोशिश में उसने सबसे पहले उसे उबलते हुए तेल में डलवा दिया था, पर उससे उसे कुछ भी हानि नहीं हुई. इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को ऊंचे पहाड़ से फेंका लेकिन उसकी यह कोशिश भी सफल नहीं हुई क्योंकि भगवान विष्णु ने अपने भक्त को बचा लिया. इससे हिरण्यकश्यप और भी क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली.होलिका एक समुद्री दानव थी. होलिका को एक वरदान प्राप्त था जिससे आग से उसे कोई भी हानि नहीं पहुंचती थी. होलिका को प्राप्त इस वरदान की मदद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई. होलिका बालक प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ गई और उसके चारों तरफ आग लगा दी गई, उस वक्त भी बालक प्रह्लाद जरा भी नहीं डरा और लगातार उसने भगवान विष्णु के नाम का जाप किया, परिणाम यह हुआ कि होलिका तो आग में जलकर खाक हो गई, लेकिन बालक प्रह्लाद भगवान का जाप करते हुए बिलकुल सुरक्षित बच गए.

Holi 2024: अनोखी है रंगों की दुनिया, नवजात को सबसे पहले दिखता है लाल रंग: Story of Holi: कौन था प्रह्लाद, जिसे उसके पिता ने कई बार की थी मारने की कोशिश

भगवान विष्णु ने बचाई जान

इस घटना के बाद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से गुस्से में पूछा कि आखिर तुम बच कैसे जाते हो, इसपर प्रह्लाद ने कहा कि भगवान विष्णु मुझे बचाते हैं. वो हर जगह मौजूद है, इसपर हिरण्यकश्यप ने कहा कि क्या तुम्हारा भगवान तुम्हें किसी भी चीज से बचा सकता है, तो क्या तुम मुझे ये बता सकते हो कि वो अभी कहां है. इस पर प्रह्लाद ने कि भगवन तो हर जगह हैं. तब हिरण्यकश्यप ने पूछा कि अगर भगवान हर जगह है तो क्या वो इस खंभे में भी है तो प्रह्लाद ने कहा हां वो इसमें भी हैं. इस बात को सुनकर वह बहुत नाराज हुआ और उसने उस खंभे पर वार करना शुरू कर दिया, जिसके बाद उस खंभे से भगवन विष्णु के अवतार नरसिंह प्रकट हुए. उस समय न तो दिन था न रात, वह सांझ का समय था. उन्होंने राजा को पकड़ लिया और किले की दहलीज पर ले गए, वे न तो किले के अंदर थे और न ही बाहर वहां उन्होंने राजा को न धातु से, न लकड़ी से, बल्कि अपने हाथों की अंगुलियों से मारा. उन्होंने उसे ना तो जमीन पर ना आसमान में मारा बल्कि उसे अपने गोद में रखकर मारा.
इनपुट : अनु कंडुलना

Sunil Kumar Dhangadamajhi

𝘌𝘥𝘪𝘵𝘰𝘳, 𝘠𝘢𝘥𝘶 𝘕𝘦𝘸𝘴 𝘕𝘢𝘵𝘪𝘰𝘯 ✉yadunewsnation@gmail.com

http://yadunewsnation.in