ठंड, बर्फ और घूमने का आनंद लेना है तो यहां के लिए बना सकते हैं प्लान, जानें कौन सी जगह सबसे अच्छी

संतोष उत्सुक, टिप्पणीकार : कुदरत के यहां कोई दिवस, साल या त्योहार नहीं होता, यह तो इंसान का बनाया हुआ प्रारूप है. हर साल पर्यटक बनते हुए हम चाहते हैं कि ऊपर वाला हमारी पहाड़ों की छुट्टियों में बर्फ के दिलकश फाहे धरती पर उतार दे, ताकि हमारी यात्रा सफल हो जाए, यादगार बन जाए. हिमाचल प्रदेश का जिक्र करें, तो मनाली से लगभग 51 किलोमीटर दूर है रोहतांग पास, जो समुद्र तल से 13058 फुट ऊपर है. वहां ठंड के मौसम में खूब बर्फ पड़ती है. जब मशीन से सड़क के ऊपर से बर्फ काट कर हटा दी जाती है, तो दोनों तरफ बर्फ की कई फुट ऊंची दीवारें सी बन जाती हैं. बर्फ के इस मोहल्ले में पैदल चलते, मटकते, उछलते, कूदते, गाड़ी चलाते हुए बहुत मजा आता है, जो जीवन भर याद रहता है. यहां एक बार जरूर जाना चाहिए. इस बार पहाड़ों में बर्फ कुछ कम पड़ रही है, जो चिंता की बात है. आशा है कि आने वाले दिनों में यह कमी पूरी हो जायेगी.

मनाली से कुछ ही दूरी पर है अटल टनल

मनाली से 25 किलोमीटर दूर दुनिया की सबसे लंबी सुरंग (9.2 किलोमीटर) अटल टनल (ऊंचाई 10039 फुट) बन जाने से ठंड के मौसम में भी लाहौल स्पिति जाना सुलभ हो गया है. सुरंग के उस पार सिस्सू गांव है. जब बर्फ पड़ी होती है, तो यहां पर्यटकों का हुजूम होता है. अटल टनल के दक्षिणी पोर्टल व धुंधी में भी बर्फ के दीदार कर सकते हैं. यहां साहसिक खेलों का आनंद ले सकते हैं. बर्फ की गोद में ज्यादा आनंद लेने के लिए बर्फ के बने घरों में रहने का आनंद लेना चाहें, तो हामटा में रुकें. मनाली के 14 किलोमीटर दूर सेथान नामक जगह पर भी स्थानीय निवासियों द्वारा पर्यटकों के लिए इग्लू (बर्फ का घर) बनाये जाते हैं. बर्फ के घर के भीतर बर्फ के ऊपर इंसुलेटेड (विद्युत रोधित) बिस्तर रखा होता है, जो गर्म रहता है. सोने वाले को ठंड नहीं लगती. कुर्सी-मेज भी बर्फ की होती है यानी ठंड और बर्फ का गरमागरम जोशीला आनंद.

शिमला का प्लान है तो ये पढ़ें

शिमला में बर्फबारी कम हो, लेकिन कुफरी में जरूर होती है. वहां से आप आगे नारकंडा जा सकते हैं, जहां बर्फ के खेलों का आनंद भी ले सकते हैं. शिमला में गाड़ियों और पर्यटकों की भीड़ आपको कई बार परेशान कर सकती है. रामपुर होते हुए किन्नौर जा सकते हैं, जहां का पर्यावरण आपको घुमक्कड़ बनाने में सक्षम है. धर्मशाला और पालमपुर जाएं, तो सिर्फ धौलाधार पर्वत शिखरों पर बर्फ ही नहीं, बल्कि कांगड़ा चाय की चुस्कियां भी ले सकते हैं. धर्मशाला का पड़ोसी मैक्लॉडगंज भी बर्फ में बहुत खूबसूरत लगता है. डलहौजी खजियार में भी बर्फ गिरती है. बर्फ की खुली गोद का आनंद उठाने के लिए सिरमौर शिमला जिला की सीमा पर स्थित चूडधार अनूठी जगह है. वहां पहुंचने के लिए नौहराधार से लगभग 18 किलोमीटर और हरिपुरधार से लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलना होता है. अगर आप साहसिक पर्यटन के शौकीन हैं, तो इस यात्रा का विरल आनंद उठा पायेंगे. अधिक बर्फ के समय सुरक्षा और संभावित परेशानियों के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन की तरफ से वहां जाने की मनाही होती है. जब भी जाएं, तो खतरा मुफ्त लेने से बेहतर है कि पता कर लें.

अब नहीं मिलती उतनी बर्फ

हमने कुदरत के दिये हुए मुफ्त उपहारों को स्वार्थ भरे दिमाग से बहुत बेरहमी से इस्तेमाल किया है. मौसम का पूरा मिजाज बिगाड़ कर रख दिया है. फिर भी हम चाहते हैं कि कुदरत हमारी इच्छानुसार हमें सब कुछ दे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ करता. अब पर्यटक कई दिन तक बर्फ गिरने का इंतजार करते हैं, लेकिन बर्फ उतनी ही मिलती है, जितनी बर्फ के लायक हम हैं. कभी बर्फबारी ज्यादा हो जाए, तो पर्यटकों के सुचारू आवागमन के लिए सरकारी मशीनरी सक्रिय रहती है. पर्यटक होना जरूरी है, लेकिन मजा लेते समय जोश के साथ होश भी जरूरी है. जिस क्षेत्र में बर्फ ज्यादा पड़ी हो, वहां जाने की योजना (Travel Tips) बनाने से पहले प्रशासनिक सूचनाओं के बारे में पता जरूर करें. यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि भीड़ में शामिल हों. जब सामान्य दिन हों, तब जाना ज्याद सहज रहता है. जहां सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं है. रात को ठहरने के लिए होम स्टे सुविधा ले सकते हैं. इग्लू का अनुभव लेना है, तो मार्च तक ले सकते हैं. फिर भी पहले पता जरूर करें.

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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