जो लोग पहले से ही उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से ग्रस्त हैं, उन्हें सर्दियों में धूप निकलने के बाद ही टहलने जाना चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि सुबह के वक्त अत्यधिक ठंड के कारण धमनियों के सिकुड़ने का खतरा ज्यादा रहता है और यह स्थिति हार्ट अटैक या फिर स्ट्रोक का कारण बन सकती है.
डॉक्टर द्वारा सुझायी गयी दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें. बहुत संभव है कि सर्दियों में डॉक्टर आपकी दवाओं की डोज को नये सिरे से सुनिश्चित करें.
सर्दियों में आलस्य के कारण अनेक लोग अपने व्यायाम कार्यक्रम को स्थगित कर कंबल-रजाई में लिपटे रहना चाहते हैं. यह प्रवृत्ति सेहत के लिए ठीक नहीं है.
सर्दियों में एक्स्पोजर से स्वयं को बचाएं. ऊनी कपड़े पहनकर ही घर से बाहर निकलें.
शराब व धूम्रपान से दूरी बनाएं. सर्दियों में एक बड़ी संख्या में लोग शराब और धूम्रपान के कहीं ज्यादा तलबगार हो जाते हैं. शराब और धूम्रपान किसी भी मौसम में स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद नहीं है और दिल और दिमाग की सेहत के लिए तो कतई नहीं.
सर्दियों में खून के गाढ़ा हो जाने का खतरा बढ़ जाता है. यह स्थिति उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है. इससे बचने के लिए अपने डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब्ड ब्लड थिनर दवा लें.
लहसुन रक्त को पतला करने वाला एक कुदरती ब्लड थिनर है, जिसका सेवन दिल की सेहत के लिए लाभप्रद है. इसके अलावा अदरक, ग्रीन टी, मटर और दालचीनी का सेवन भी लाभप्रद है.
साइलेंट अटैक से रहें सावधान : कुछ लोगों को खासकर मधुमेह से ग्रस्त लोगों को इस मौसम में साइलेंट हार्ट अटैक होने का जोखिम ज्यादा रहता है. साइलेंट हार्ट अटैक की मेडिकल कंडीशन में पीड़ित व्यक्ति को हार्ट अटैक से संबंधित कोई भी लक्षण आमतौर पर महसूस नहीं होते, जैसे- ऐसे लोग सीने में तेज दर्द या बेचैनी, चक्कर आना आदि महसूस नहीं करते, लेकिन किसी-न-किसी रूप में स्वयं को असहज महसूस करते हैं. ऐसी स्थिति में अगर संभव हो, तो पीड़ित व्यक्ति के परिजनों को उसका ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर चेक करना चाहिए या फिर अतिशीघ्र डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.
मधुमेह से ग्रसित हैं तो ज्यादा सतर्क रहें : वर्ल्ड डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, रक्त शर्करा के अनियंत्रित रहने से कालांतर में स्ट्रोक और हृदय रोग होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में दोगुना बढ़ जाता है, जो इन समस्याओं से ग्रस्त नहीं हैं.
जो लोग मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रस्त हैं, उन्हें अपने ब्लड शुगर को डॉक्टर से परामर्श लेकर नियंत्रित रखना चाहिए.
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खाली पेट ब्लड शुगर लगभग 80 से 100 के अंदर और खाने के बाद लगभग 140-150 (उम्र के अनुसार) होना चाहिए.
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डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाएं लें और सक्रिय जीवनशैली पर अमल करें.