कुमार गौरव अजीतेंदु
फूल शब्द से ही मन में तरह-तरह की भीनी-भीनी सुगंधों का ख्याल आने लगता है. मगर आश्चर्यों से भरी इस दुनिया में बहुत से फूल ऐसे भी हैं, जो सुगंध नहीं, बल्कि अपनी दुर्गंध के लिए प्रसिद्ध हैं. ऐसे ही कुछ फूलों के बारे में आइए जानते हैं-
हम सभी के मन में यह आम धारणा है कि फूल, संसार में खुशबू फैलाने के लिए बने हैं. फूलों की यह खुशबू, मुख्यतः परागणक कीट (पॉलीनेटर्स) जैसे- मधुमक्खी, तितलियों इत्यादि को लुभाने के लिए होती हैं. ये परागणक कीट जब फूलों का मीठा रस चूसते हैं, तो पौधों में निषेचन की क्रिया होती है. हालांकि, यहां हरेक परागणक कीट, सुगंध से ही आकर्षित नहीं होता है, जैसे- मक्खियां भी मधुमक्खियों की ही तरह परागण करती हैं, लेकिन वे सुगंध के पीछे भागनेवालों में से नहीं हैं. वे कचरों पर मंडराने वाली होती हैं. अतः दुनियाभर में कई फूलों में इस तरह के परागणकों को लुभाने के लिए विशेष गंध होती है. दरअसल, हमारी धरती जैव विविधता का भंडार है. प्रकृति में अनोखी चीजें विद्यमान हैं, जिन पर सहसा यकीन नहीं होता है.
हाइडनोरा अफ्रीकाना
दक्षिण अफ्रीका में पाये जाने वाले इस मांसल फूल से मल जैसी दुर्गंध आती है. इस फूल का मुख्य परागणक, गुबरैला कीट है. यह भी बता दें कि यह एक परजीवी पौधा है. अपने खिलने के समय को छोड़कर यह बाकी समय लगभग पूरी तरह से भूमिगत हो जाता है. इसका पौधा एक फल का उत्पादन करता है, जो भूमिगत रूप से बढ़ता है और पूरी तरह से पकने में दो साल तक का समय लेता है. वह फल स्वाद और बनावट में आलू के समान होता है. इन उभयलिंगी फूलों की कलियां भूमिगत रूप से विकसित होती हैं और पूर्णतः विकसित होने पर लगभग 100 से 150 मिमी की ऊंचाई तक पहुंचती हैं. फूल गोलाकार, बाहर की तरफ भूरे रंग का और भीतरी सतह पर चमकीला गेरुआ या नारंगी होता है.
ड्रैकुनकुलस वल्गरिस
अरेसियाई कुल का यह फूल मुख्यतः ग्रीस में पाया जाता है. संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इनकी उपस्थिति है, जिनमें कैलिफॉर्निया का पश्चिमी तट, वॉशिंगटन जैसे हिस्से शामिल हैं. कनाडा के ओंटारियो प्रांत में भी इसे उगाया जाता है. इस फूल से भी सड़ते मांस की बदबू आती है. वैसे अच्छी बात यह है कि इसकी बदबू लंबे समय तक नहीं रहती, लगभग एक दिन में यह बदबू खत्म हो जाती है. इस पौधे का हरेक भाग जहरीला होता है. इसे स्टिंक लिली, ड्रैगन अरुम, स्नेक लिली जैसे नामों से भी जाना जाता है.
बल्बोफाइलम फेलेनोप्सिस
बल्बोफाइलम फेलेनोप्सिस अपनी लंबी पत्तियों और बदबूदार फूलों के लिए जाना जाता है. इस पुष्पक्रम के शीर्षभाग में लगभग 15 से 20 लाल-भूरे (मांस के रंग के) फूलों का एक समूह होता है, जो दिखने में किसी कटे हुए मांस जैसे दिखते हैं. अपने परागणक कैरियन मक्खियों को आकर्षित करने के लिए इन फूलों में भी खास किस्म की दुर्गंध होती है. लोग उस दुर्गंध की तुलना मरे चूहे से आनेवाली बदबू से करते हैं. ये फूल पापुआ न्यू गिनी में पाये जाते हैं.
रैफलेसिया अर्नोल्डी
एकल पुष्प के रूप में खिलने वाला यह दुनिया का एक बड़ा फूल रैफलेसिया अर्नोल्डी है. यह दुर्लभ फूल बेंगकुलु प्रॉविन्स, इंडोनेशिया के वर्षावनों में पाया जाता है. यह तीन फुट तक बढ़ सकता है और 15 पाउंड तक वजन वाला हो सकता है. यह भी एक परजीवी पौधा है, जिसमें कोई भी पत्तियां, जड़ें या तना दिखाई नहीं देते हैं. यह पानी और पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए खुद को मेजबान पौधे से जोड़ता है. खिलने पर इस फूल से भी सड़े हुए मांस के समान दुर्गंध आती है, जो कि पौधे को परागित करने वाले कीड़ों को आकर्षित करती है. तुम्हें जानकर आश्चर्य होगा कि इतना बदबूदार होने के बावजूद इस फूल को इंडोनेशिया के तीन राष्ट्रीय पुष्पों में से एक गिना जाता है. खास बात है कि यह वहां संरक्षित प्रजाति का फूल है. इस श्रेणी में बाकी दो फूल जैस्मिन तथा मॉथ ऑरकिड हैं.
टाइटन अरुम (शव पुष्प)
दुनिया का सबसे बड़ा फूल होने के साथ-साथ इस फूल को दुनिया के सबसे गंदी महक वाले फूलों में पहले पायदान पर माना जा सकता है. हालांकि, तकनीकी रूप से, टाइटन अरुम एक अकेला फूल नहीं है. यह कई छोटे-छोटे फूलों का समूह होता है, जिसे पुष्पक्रम कहते हैं. टाइटन अरुम में सभी फूलों वाले पौधों की तुलना में सबसे बड़ा असंबद्ध पुष्पक्रम होता है. सुमात्रा के वर्षा वनों में पाये जानेवाले इस फूल से सड़ती हुई लाश जैसी बदबू आती है, इसलिए इसे शव पुष्प भी कहा जाता है. भारत में इसे केरल के वायनाड में उगाया गया था. यह फूल चार से छह वर्ष में एक बार खिलते हैं और वह भी मात्र 24 से 48 घंटे के लिए. इनकी लंबाई अधिकतम 10 से 12 फुट और व्यास 5 फुट तक का हो सकता है. इसके प्रमुख परागणकर्ता मक्खियां और भृंग (बीटल्स) हैं, जो मृत चीजों में अपने अंडे देना पसंद करते हैं.