Mother's Day 2023: ऐसे शुरू हुई थी मदर्स डे को मनाने की परंपरा, जानें क्या है इस दिन का इतिहास

Mother’s Day 2023: हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. इस साल ये खास दिन 14 मई को मनाया जाएगा.  इसमें कोई शक नहीं है कि मां की जगह कोई नहीं ले सकता.  आज हम आपको बताने वाले हैं कि मई के दूसरे रविवार को ही क्यों मदर्स डे मनाया जाता है.

जानें मई के दूसरे रविवार को ही क्यों मनाया जाता है मदर्स डे

दुनिया भर में मदर्स डे को लोकप्रिय बनाने और उसको मनाने की परंपरा शुरू करने का श्रेय अमेरिका की ऐना एम.जारविस को जाता है. ऐना का जन्म अमेरिका के वेस्ट वर्जिनिया में हुआ था. उनका मां अन्ना रीस जारविस 2 दशकों तक एक चर्च में संडे स्कूल टीचर रहीं. एक दिन की बात है. उनकी मां संडे स्कूल सेशन के दौरान बाइबिल में मां पर एक पाठ के बारे में बता रही थीं. उस समय जारविस 12 साल की थीं. पाठ के दौरान उनकी मां ने एक इच्छा का इजहार किया. उन्होंने अपनी मां को कहते सुना, एक दिन आएगा जब कई मां और मातृत्व को मनाने के लिए एक दिन समर्पित करेगा. उस समय तक सिर्फ पुरुषों को समर्पित दिन होते थे जिनको मनाया जाता था. महिलाओं के लिए कोई दिन नहीं होता था.

मां के मौत के बाद चलाया अभियान

जब ऐना की मां का निधन हो गया तो उसके दो सालों बाद, ऐना और उनकी दोस्तों ने एक अभियान चलाया. उन्होंने मदर्स डे की राष्ट्रीय छुट्टी के लिए लोगों का समर्थन हासिल किया. उन्होंने देखा था कि आमतौर पर बच्चे अपनी मां के योगदान को भुला देते हैं. वह चाहती थीं कि जब मां जिंदा हो तो बच्चे उनका सम्मान करें और उनके योगदानों की सराहना करें. उनको उम्मीद थी कि जब इस दिन को मदर्स डे के तौर पर मनाया जाएगा तो मां और पूरे परिवार का आपस में संबंध मजबूत होगा. 8 मई, 1914 को संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे घोषित किया. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन ने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया.

इतिहास में मिलती हैं मदर्स डे की जड़ें

मां और मातृत्व के लिए प्राचीन ग्रीस और रोम में भी दिन समर्पित था. वे देवियों को मां मानते थे और उनके सम्मान में उत्सवों का आयोजन करते थे. लेकिन आधुनिक मदर्स डे की जड़ें ‘मदरिंग संडे’ में मिलती है. ईसाई धर्म के लोगों द्वारा इंग्लैंड और यूरोप के कई देशों में इसे मनाया जाता था. श्रद्धालु लेंट सीजन के चौथे रविवार को मुख्य चर्च में प्रार्थना के लिए जमा होते थे. मुख्य चर्च को मदर चर्च के नाम से जाना जाता था. समय के साथ-साथ इसे मां को सम्मानित करने के लिए मनाया जाने लगा. बच्चे अपनी मां को प्यार और सम्मान के प्रतीक के तौर पर फूल और अन्य चीजें भेंट किया करते थे.

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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