कंगाल पाकिस्तान का क्या हो गया हाल, डॉलर, आटे की किल्लत के बाद खजूर भी खत्म, कैसे मनेगा रमजान?

कराची: गुरुवार से पाकिस्‍तान में रमजान का आगाज हो गया जोकि काफी पवित्र माह माना जाता है। मगर इस बार इस देश के लिए यह थोड़ा मुश्किल समय है। आर्थिक संकट के बीच ही बढ़ती महंगाई ने इस बार रोजे मुश्किल कर दिए हैं। पाकिस्‍तान की जनता इस समय बेहद ही खराब स्थितियों में दिन गुजार रही है। आटे की किल्‍लत के बीच ही अब रमजान के महीने में जरूरी खजूर पर संकट पैदा हो गया है। खजूर के साथ रोजा खोलने वाले लोग बड़े परेशान हैं क्‍योंकि इसके दाम आसमान छू रहे हैं। देश में महंगाई इस समय 50 साल में चरम पर है। पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से काफी उम्‍मीदें थीं। मगर श्रीलंका को तो राहत पैकेज जारी कर दिया गया है और मुल्‍क पर कोई भी फैसला नहीं लिया जा सका है।

कराची के एतिहासिक लयारी इलाके में खजूर की एतिहासिक बाजार है जो पिछली कई सदियों से लगती आ रही है। रमजान के शुरू होते ही इस बाजार में रौनक देखी जा सकती है। रमजान के समय जब रोजे की शुरुआत होती है, उस समय और दिन ढलने के बाद जब इसे खोला जाता है तो खजूर ही खाया जाता है। इस बार खजूर की कीमतें काफी ज्‍यादा हैं। खजूर का बिजनेस करने वाले मोहम्‍मद इशहाक ने अरब न्‍यूज को बताया है कि इस बार सबकुछ महंगा हो गया है और ऐसे में खजूर के दाम बढ़ना भी स्‍वाभाविक था।

पिछले साल 350 रुपए किलो बिकने वाला खजूर इस बार 500 रुपए प्रतिकिलो पर बिक रहा है। इस बार इनकी बिक्री भी साल 2022 की तुलना में काफी कम हो गई है। मोहम्‍मद इशहाक के मुताबिक आयात पर लगा प्रतिबंध सबकुछ बिगाड़ रहा है। साथ ही स्‍थानीय फसल भी सितंबर में आई बाढ़ में पूरी तरह से खत्‍म हो गई थी। खजूर मार्के एसोसिएशन के मुताबिक इस बार खजूर के खरीददार भी बहुत कम हो गए हैं।

पाकिस्‍तान का विदेशी मुद्रा भंडार दिन पर दिन गिरता जा रहा है। सरकार की तरफ से इसे सुरक्षित रखने के लिए कुछ चीजों के आयात पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। पिछले साल मई से ही जारी प्रतिबंधों में सूखे मेवे और ताजे फलों को भी रखा गया था। कुछ समय बाद इन प्रतिबंधों को हटा लिया गया था लेकिन इसके बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।

जिन विदेशी बाजारों से पाकिस्‍तान को खजूर का निर्यात होता था, वहां से सही समय पर सामान नहीं आ पाया था। इस वजह से कीमतों में इजाफा हुआ है। पाकिस्‍तान, इराक से खजूर का आयात करता है लेकिन डॉलर नहीं होने की वजह से इनकी पेमेंट नहीं हो सकती थी। ऐसे में रमजान के मौके पर परेशानियां और बढ़ गईं।पाकिस्‍तान इस फल का सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है। हर साल देश में पांच लाख मीट्रिक टन खजूर का उत्‍पादन होता है। लेकिन सितंबर 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ ने पूरी फसल को चौपट कर दिया। बाढ़ में स्‍थानीय फसल पूरी तरह से खत्‍म हो गई थी। इस आपदा ने बलूचिस्‍तान और सिंध को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचाया था। इन्‍हीं प्रांतों में खजूर की सबसे ज्‍यादा खेती होती है। बाढ़ ने सबसे पहले सिंध प्रांत में खजूर की फसल को चौपट किया था।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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