अमेरिका के थिंक टैंक विल्सन सेंटर के दक्षिण एशिया संस्थान के डायरेक्टर माइकल कुगलमैन ने ट्वीट करके कहा, ‘भारत ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले के बाद नई दिल्ली में ब्रिटेन के हाई कमीशन के सुरक्षा बैरियर को हटा दिया। साल 2013 में भारत ने यही कदम अमेरिका के दूतावास के बाहर तब उठाया था जब साल 2013 में देवयानी ख्चोबरागडे का मामला सामने आया था। यही नहीं भारत अमेरिका के मामले में तो इससे और भी आगे बढ़ गया था।’
‘भारत ने दोस्तों को भी बताई अपनी रेडलाइन’
कुगलमैन ने कहा, ‘भारतीय सरकार ने तो भारत में रह रहे अमेरिकी राजनयिकों की सुविधाओं में भी कटौती कर दी थी। इसमें एयरपोर्ट पास और शराब के आयात का लाइसेंस रोकना शामिल था।’ अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, ‘यह दर्शाता है कि भारत की सरकार विदेशों में भारत के राजनयिकों पर खतरे को हल्के में नहीं लेती है। भारत सरकार के इस खतरे के मुताबिक जवाबी कार्रवाई भी करती है, फिर चाहे वह नई दिल्ली का कोई बहुत करीबी भागीदार देश ही क्यों नहीं हो।’
भारत के इस सख्त रुख के बाद अब लंदन में न केवल सुरक्षा को बढ़ा दिया है, बल्कि ब्रितानी विदेश सचिव जेम्स क्लेवर्ली ने बुधवार को कहा कि भारतीय उच्चायोग में काम कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जेम्स ने कहा कि मैंने भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दुरईस्वामी के साथ बातचीत में अपनी स्थिति को साफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और हम लंदन में भारतीय उच्चायोग और दिल्ली में भारतीय सरकार के साथ संपर्क में हैं।
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‘दुनियाभर के उच्चायोग को देंगे पूरी सुरक्षा’
ब्रिटेन के विदेश सचिव ने कहा कि ब्रिटेन सरकार पुलिस के साथ मिलकर भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा की समीक्षा कर रही है। इसके बाद हम भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय करेगी जैसाकि हमने आज प्रदर्शन के दौरान किया है। हम न केवल भारत बल्कि दुनिया के अन्य देशों के उच्चायोग की सुरक्षा को हमेशा बहुत ही गंभीरता से लेंगे।