पिछले साल रिटायर हुए बाजवा
पूर्व मंत्री ने कहा, ‘‘हम सत्ता में आये लेकिन, हां, हमें साजिश के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया, जिसमें कुछ सैन्य जनरल शामिल थे और (सैन्य) प्रतिष्ठान ने इमरान खान को सत्ता से हटाने में बहुत सक्रिय भूमिका निभायी।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ पिछले सेना प्रमुख हमारी सरकार को हटाने में सक्रिय रूप से शामिल थे और दुर्भाग्य से यही तथ्य है।’’ जनरल बाजवा (61) तीन-तीन साल के दो कार्यकाल के लिए पाकिस्तान की सेना का प्रमुख रहने के बाद पिछले साल 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गये।
तीन साल के लिए बढ़ाया गया था कार्यकाल
वह 2016 में सेना प्रमुख नियुक्त किये गये थे और 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने तीन साल के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था। बाद में खान सेना के कड़े आलोचक बन गये। पचहत्तर साल पहले अस्तित्व में आये पाकिस्तान में आधे से अधिक समय तक देश पर शासन कर चुकी सेना का सुरक्षा एवं विदेश नीति के मामलों में काफी प्रभाव है। जब चौधरी का इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम के इस बयान की ओर ध्यान दिलाया गया कि खान ने सेना को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान ‘असंवैधानिक भूमिका निभाने के लिए कहा था, तो उन्होंने कहा कि पार्टी की राय ‘बिल्कुल भिन्न थी।’ उन्होंने कहा, ‘हमने कभी ऐसा नहीं कहा। हमने सिर्फ इतना कहा कि एक स्थिर सरकार को इस तरह नहीं जाने दिया जाए। पिछले सेना प्रमुख सच नहीं बोल रहे थे, जब उन्होंने कहा कि हमने उनसे मदद मांगी थी। हमने सेना में उनकी तटस्थता की बात कही थी।’