India UNSC: भारत के साथ खड़े रूस, ब्रिटेन… फिर क्‍यों नहीं मिल रही संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता, समझें – know why india not geting permanent seat at un security council amid support from france uk and russia

वॉशिंगटन: संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में भारत ने एक बार फिर सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा जोरशोर से उठाया है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जोर देकर कहा कि हर गुजरते साल के साथ संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की जरूरत बढ़ती जा रही है। भारत वर्तमान समय में सुरक्षा परिषद का अस्‍थायी सदस्‍य है और उसका 2 साल का कार्यकाल इसी महीने समाप्‍त होने जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब रूस, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई बडे़ देशों ने भारत को सुरक्षा परिषद का स्‍थायी सदस्‍य बनाने का समर्थन किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पंडित नेहरू को लेकर दिए बयान के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत, जापान, जर्मनी समेत दुनिया के कई बड़े देशों को सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता नहीं मिलने के पीछे चीन, अमेरिका समेत कई पेंच फंसे हुए हैं। आइए समझते हैं पूरा मामला

दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद साल 1945 में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में 5 देशों को स्‍थायी सदस्‍यता दी गई थी। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन ये देश युद्ध में विजेता थे और सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता के साथ उन्‍हें वीटो पॉवर मिला। वीटो पॉवर के बल पर ये देश अक्‍सर वैश्विक नीतियों को निर्धारित करते रहते हैं। यही नहीं चीन जैसा भारत विरोधी देश है जो वीटो पॉवर के बल पर पाकिस्‍तानी आतंकियों को वैश्विक प्रतिबंधों से बचाता रहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने बुधवार को दिए अपने भाषण में चीन और पाकिस्‍तान दोनों को आतंकियों को बचाने और पालने के लिए जमकर सुनाया था। चीन की इसी नापाक चाल को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने एक बार फिर से संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार का मुद्दा उठाया।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में आवाज बुलंद कर रहा भारत

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ का गठन 1945 में हुआ था और यह उस समय की परिस्थितियों पर आधारित था। उस समय भारत जैसे कई विशाल देश या तो गुलाम थे या बेहद गरीब थे। ये देश आज वैश्विक आर्थिक और सैन्‍य ताकत बन चुके हैं लेकिन अभी तक उन्‍हें संयुक्‍त राष्‍ट्र में उचित प्रतिनिधित्‍व नहीं मिल पाया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल 5 में से कई देश इन सुधारों का या तो विरोध कर रहे हैं या नए सदस्‍यों को वीटो पॉवर नहीं देना चाहते हैं। आलम यह है कि यूरोप से जहां 3 देश सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता रखते हैं, वहीं अफ्रीका जैसे विशाल महाद्वीप से किसी भी देश को यह मान्‍यता नहीं मिली है। इसी भेदभाव के खिलाफ भारत लगातार आवाज बुलंद कर रहा है। भारत की सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता की दावेदारी का रूस, फ्रांस, ब्रिटेन ने खुलकर समर्थन किया है लेकिन नई दिल्‍ली की राह में कई कांटे बने हुए हैं।

यही वजह है कि भारत समेत कई देशों की जोरदार मांग के बाद भी सुरक्षा परिषद का सुधार नहीं हो पा रहा है। इससे अब सुरक्षा परिषद की साख भी कमजोर हो गई है। हालत यह रही कि कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने की मांग पर भी सुरक्षा परिषद के देशों में खींचतान हुई थी। संयुक्‍त राष्‍ट्र दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। 193 देश इसके सदस्‍य हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र के ज्‍यादातर महासचिवों ने संगठन में सुधार का समर्थन किया है लेकिन वे सुरक्षा परिषद के 5 स्‍थायी सदस्‍यों के आगे लाचार साबित हुए। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने पिछले भाषण में कहा था कि संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार आज की जरूरत है। भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान ने 1992 से ही जी4 गुट बनाकर स्‍थायी सदस्‍यता के लिए दावा किया है लेकिन यह अभी तक आगे नहीं बढ़ पा रहा है। भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी बनने जा रहा है और अर्थव्‍यवस्‍था उछाल मार रही है लेकिन नई दिल्‍ली की राह में चीन और पाकिस्‍तान कांटा बन गए हैं।

पाकिस्‍तान ने चीन के साथ मिलकर चली है चाल

पाकिस्‍तान भारत का खुलकर विरोध कर रहा है और चीन भी उसका साथ दे रहा है। भारत के जी4 को रोकने के लिए पाकिस्‍तान ने इटली, मैक्सिको और मिस्र के साथ मिलकर एक और गुट बना लिया है। यह पाकिस्‍तानी गुट सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता का समर्थन तो कर रहा है लेकिन वे वीटो पॉवर दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है। इससे पहले संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव रहे कोफी अन्‍नान ने सुरक्षा परिषद की सदस्‍यता को बढ़ाकर 24 करने का सुझाव दिया था लेकिन यह आगे नहीं बढ़ा। संयुक्‍त राष्‍ट्र में किसी सुधार के लिए न केवल दो तिहाई सदस्‍य देशों के समर्थन की जरूरत होती है, बल्कि सभी स्‍थायी सदस्‍य देशों का समर्थन भी जरूरी होता है। यही वजह है कि 4 देशों का साथ पाकर भी चीन के विरोध के कारण भारत का स्‍थायी सदस्‍य बनना संभव नहीं हो पा रहा है। सुरक्षा परिषद में वीटो पॉवर के बिना सदस्‍यता लेने का कोई मतलब नहीं है। इसी वजह से भारत इसके लिए तैयार नहीं है। वीटो पॉवर का यह फायदा होता है कि उस सदस्‍य देश के खिलाफ सुरक्षा परिषद में कोई प्रस्‍ताव पारित नहीं हो पाता है। हाल ही में रूस के मामले में यही हुआ है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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