who own moon according to outer space treaty, क्या चांद पर खरीद सकते हैं जमीन…चीन या अमेरिका कौन है मालिक? जानें क्या कहता है अंतरिक्ष का कानून – who is the owner of the moon can china and america claim on it rules of outer space treaty

वॉशिंगटन: सूर्य के बाद चांद एक ऐसी चीज है, जों इंसानों को पृथ्वी से एकदम साफ दिखाई देता है। इस चांद पर दुनिया के दो देशों का झंडा है। एक देश है अमेरिका और एक देश है चीन। लेकिन क्या झंडा लगाने से चांद इनका हो गया? दोनों देशों के अधिकारियों से अगर इस बारे में बात की जाए तो वह यही कहेंगे कि इससे किसी भी तरह की संपत्ति का दावा नहीं होता है। लेकिन अगर चांद पर झंडा लगाने से संपत्ति का दावा नहीं होता तो फिर किससे होगा? क्या अगर चंद्रमा पर लैंड हों तो सच में इसके मालिक हो सकते हैं।

सोवियत संघ ने अक्टूबर 1957 में दुनिया का पहला सैटेलाइट स्पुतनिक-1 लॉन्च किया था। इस लॉन्च ने स्पेस में संभावनाओं का एक नया क्षेत्र खोल दिया। उनमें से कुछ कुछ संभावनाएं तो वैज्ञानिक थीं, लेकिन कुछ कानूनी थीं। एक दशक बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने बाहरी अंतरिक्ष संधि का ड्राफ्ट तैयार किया, जो स्पेस से जुड़ा पहला कानूनी डॉक्यूमेंट था। यह संधि आज भी अंतरिक्ष कानून का सबसे प्रभावशाली हिस्सा है, फिर भी इसे लागू करना बहुत मुश्किल है। मिसिसिपी स्कूल ऑफ लॉ विश्वविद्यालय की अंतरिक्ष कानून विशेषज्ञ मिशेल हैनलॉन ने कहा कि यह सिर्फ दिशानिर्देश और सिद्धांत हैं।

कोई भी देश नहीं कर सकता दावा
हैनलॉन का कहना है कि अंतरिक्ष संधि में स्पेस में भूमि पर कब्जा करने के बारे में स्पष्ट कहा गया है। संधि के अनुच्छेद 2 के मुताबिक कोई भी देश अंतरिक्ष के किसी हिस्से या खगोलीय पिंड पर अपना कब्जा नहीं जता सकता है। कोई भी देश चंद्रमा की संप्रभुता का दावा नहीं कर सकता। हालांकि जब चांद पर बेस बनाने की बात आती है तो चीजें अस्पष्ट हो जाती हैं। हैनलॉन का कहना है कि बेस एक तरह से क्षेत्र पर कब्जा ही है।

कोई भी अंतरिक्ष में बना सकता है संपत्ति
संधि के अनुच्छेद 3 के मुताबिक किसी भी व्यक्ति के पास अंतरिक्ष में संपत्ति रखने का मौलिक अधिकार है। कोई भी व्यक्ति चंद्रमा पर घर बना सकता है और इस पर अपना दावा कर सकता है। कई लोगों ने चंद्रमा के कुछ हिस्सों का मालिक होने का दावा किया है। हालांकि अनुच्छेद 12 इस तरह के किसी भी प्रयास को विफल कर सकता है। इसमें कहा गया है कि किसी अन्य खगोलीय पिंड पर होने वाली किसी भी तरह की स्थापना सभी के इस्तेमाल में होनी चाहिए। इसके साथ ही किसी भी वाणिज्यिक या स्वतंत्र ईकाई को स्वतंत्र मानने की जगह उसे उस देश का माना जाएगा।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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