वॉशिंगटन: अमेरिका में भारतीय मूल की हरमीत ढिल्लों और डोनाल्ड ट्रंप की कट्टर समर्थक रिपब्लिक पार्टी के शीर्ष संगठनात्मक नेतृत्व पद के लिए मैदान में उतर गई हैं। हरमीत का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। वह कैलिफोर्निया में रिपब्लिकन नेशनल कमेटी की अध्यक्ष हैं। सोमवार को हरमीत ने राष्ट्रीय स्तर पर रिपब्लिकन नेशनल कमेटी (RNC) के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। रोना मैकडैनियल के खिलाफ वह चुनाव लड़ेंगी। उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि वह जीते हुए चुनावों में भी रिपब्लिकन पार्टी की हार से तंग आ गई हैं और पार्टी का आधुनिकीकरण चाहती हैं।
फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ‘जमीन से जुड़े रिपब्लिकन, दानदाता और RNC के सदस्य मध्यावधि चुनाव के बाद से ही मुझ से मिल रहे हैं और रिपब्लिकन नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं। हमारी पार्टी की दिशा के बारे में और 2024 में जीतने के लिए हमें क्या बदलाव करना चाहिए इस पर एक ईमानदार बातचीत की जरूरत है।’ रोना मैकडैनियल ने तीसरी बार RNC का अध्यक्ष बनने के लिए अपना दावा ठोंका है। इसके अलावा दौड़ में एक तकिया कंपनी के CEO माइक लिंडेल हैं, जो ढिल्लों की तरह ही एक कट्टर ट्रंप समर्थक हैं।
क्या होता है RNC चेयरपर्सन का काम
माना जा रहा है कि जनवरी में इससे जुड़ा मतदान होगा। RNC का चेयरपर्सन आम तौर पर पार्टी की जमीनी गतिविधियों पर नजर रखता है। पार्टी सम्मेलन की मेजबानी करना, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को नामित करना और रसद की देखरेख इनका काम है। हालांकि वह खुद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नहीं बन सकते। आधुनिक अमेरिकी के राजनीतिक इतिहास में सिर्फ जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने RNC चेयरपर्सन (1973-74) रहते हुए व्हाइट हाउस (1988-1992) पहुंचे।
‘पंजाबन’ हैं ढिल्लों
ढिल्लों खुद को पंजाबी बताती है। उनके ट्विटर हैंडल का नाम भी @pnjaban है। जब वह बच्ची थीं, तभी अमेरिका आईं। उनके पिता एक आर्थोपेडिक सर्जन थे। उत्तरी कैरोलिना स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की थी। वह डार्टमाउथ कॉलेज में गईं और वर्जीनिया स्कूल ऑफ लॉ यूनिवर्टि से बैचलर डिग्री प्राप्त की। 9/11 आतंकी हमलों के बाद वह अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के बोर्ड की सदस्य बनीं। इस दौरान उन्होंने सिखों और अन्य दक्षिण एशियाई लोगों के खिलाफ भेदभाव पर काम किया।