इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना को इस महीने के अंत में एक नया आर्मी चीफ मिल सकता है। जनरल कमर जावेद बाजवा (61) 29 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। दुनिया के कई देशों में नए सेना प्रमुख की नियुक्ति एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन पाकिस्तान में यह कई महीनों से खबरों में हैं और लगभग-लगभग विवादों को भी छू रही है। पाकिस्तान में नए आर्मी चीफ की नियुक्ति न सिर्फ सैन्य बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक बड़ा घटनाक्रम है जिसके नतीजों पर पड़ोसी देश भारत सहित कई देशों की नजर रहेगी।
बाजवा को तीन साल का कार्यकाल विस्तार मिल चुका है। 2016 में उन्हें सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। तीन साल के कार्यकाल के बाद 2019 में इमरान खान के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने उनकी सेवा को और तीन साल के लिए बढ़ा दिया था। पाकिस्तान में सेना सबसे प्रभावशाली संस्था है जिसका दखल सरकार गठन और शासन चलाने में रहता है। पाकिस्तान के 75 में से 36 साल सैन्य शासन के रहे हैं। सभी जानते हैं कि सेना की मर्जी के खिलाफ पाकिस्तान में कोई भी सरकार बहुत दिनों तक नहीं टिक सकती।
नया सेना प्रमुख भारत के अलावा अफगानिस्तान में तालिबान के साथ भी पाकिस्तान के संबंधों का भविष्य तय करेगा। यह नए आर्मी चीफ के हाथ में होगा कि आने वाले समय में पाकिस्तान चीन की तरफ झुकेगा या अमेरिका की तरफ। पाकिस्तान में सेना पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए अंदरूनी प्रक्रियाओं में दखल देने के आरोप लगते रहे हैं। पाकिस्तान में आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। पाकिस्तान वर्तमान में राजनीतिक और आर्थिक संकटों से जूझ रहा है और नया आर्मी चीफ इससे बाहर निकलने में अहम भूमिका निभा सकता है।
पाकिस्तान में नए आर्मी चीफ की नियुक्ति पर भारत भी करीब से नजर बनाए हुए है। भारत-पाकिस्तान संबंध और कश्मीर पर पाकिस्तान का रुख नए आर्मी चीफ के हाथ में ही होगा। 2021 की शुरुआत में बाजवा ने एलओसी पर भारत के साथ सीजफायर एग्रीमेंट की बहाली को मंजूरी दी थी। अब देखना यह होगा कि नए आर्मी चीफ के आने के बाद एलओसी पर शांति रहेगी या पाकिस्तानी सेना की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन किया जाएगा और सीमापार से आतंकी गतिविधियां और घुसपैठ रुकेगी या बढ़ जाएगी।
जनरल बाजवा की जगह लेने वालों में फिलहाल छह नाम सामने आ रहे हैं। ले. जनरल असीम मुनीर, ले. जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, ले. जनरल अजहर अब्बास, ले. जनरल नौमान महमूद, ले. जनरल फैज हमीद और ले. जनरल मोहम्मद आमिर। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि शहबाज सरकार बाजवा का कार्यकाल बढ़ाना चाहती है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा एम. आसिफ ने कहा कि सरकार सेना प्रमुख की नियुक्ति और सेवा विस्तार के मामले में और अधिक अधिकार दिए जाने को लेकर 1952 के सेना अधिनियम में संशोधन की योजना बना रही है। प्रस्तावित संशोधन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को एक अधिसूचना जारी कर नए आर्मी चीफ की नियुक्ति और सेवा विस्तार का अधिकार देता है जिसके लिए राष्ट्रपति का मंजूरी अनिवार्य नहीं होगी।
इस नियुक्ति पर पश्चिमी देशों समेत पूरी दुनिया की नजर है। पाकिस्तान के पास बड़ी संख्या में परमाणु हथियार हैं जिनकी सुरक्षा पर अक्सर सवाल उठते हैं। पाकिस्तानी सेना इस संबंध में विदेशी चिंताओं को खारिज भी कर चुकी है। लेकिन सवाल उठे हैं तो नए आर्मी चीफ को उनका जवाब भी देना होगा। हालांकि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान की निकासी ने कुछ हद तक चीजें आसान कर दी हैं। बाजवा के कार्यकाल में पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों में घनिष्ठता बढ़ी है। वहीं अमेरिका के साथ भी पाकिस्तान के संबंध बेहतर हुए हैं। इस संतुलन को बनाए रखना नए आर्मी चीफ के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।