लाइमैन से रूसी सैनिकों के पीछे हटने पर भड़के कादिरोव
रूस ने पूर्वी यूक्रेन में लाइमैन से अपने सैनिकों की वापसी की पुष्टि की है। लाइमेन पूर्वी यूक्रेन में रूसी सेना का एक प्रमुख गढ़ था। यहीं से यूक्रेन में तैनात रूसी सेना को रसद और हथियारों की सप्लाई की जाती थी। लाइमैन के हाथ से निकलते ही कादिरोव ने रूसी सेना के शीर्ष कमांडरों को उनकी विफलताओं के लिए फटकार लगाई। उसने टेलीग्राम पर लिखा: “मेरी व्यक्तिगत राय में, सीमा पर अधिक कठोर उपाय किए जाने चाहिए। इसमें मार्शल लॉ की घोषणा और कम क्षमता वाले परमाणु हथियारों का उपयोग तक शामिल है।”
रूस के पास परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा
रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार है। इसमें कम प्रभाव वाले सामरिक परमाणु हथियार भी शामिल हैं जिन्हें विरोधी सेनाओं के खिलाफ हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है। पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव सहित पुतिन के कई अन्य करीबी सहयोगियों ने भी कहा है कि रूस को परमाणु हथियारों का सहारा लेने की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन, इन सबके बीच रमजान कादिरोव का ताजा बयान सबसे जरूरी और स्पष्ट माना जा रहा है।
पुतिन के दोस्त हैं रमजान कादिरोव
चेचन्या के प्रभावशाली शासक रमजान कादिरोव यूक्रेन में युद्ध के मुखर समर्थक रहे हैं। चेचन लड़ाके पहले से ही यूक्रेन में रूस की तरफ से जंग लड़ रहे हैं। कादिरोव को व्यक्तिगत रूप से पुतिन का करीबी माना जाता है। पुतिन ने 2007 में रमजान कादिरोव को अशांत चेचन्या पर शासन करने के लिए नियुक्त किया था।
चेचेन्या का क्या है इतिहास?
चेचेन्या रूस के दक्षिणी हिस्से में स्थित कॉकस क्षेत्र का उत्तरी हिस्सा है। एक समय ऐसा भी था जब चेचन्या अपने तेल भंडार, अपनी अर्थव्यवस्था और अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कारण काफी अग्रणी क्षेत्र माना जाता था। लेकिन, 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद इस इलाके में आतंकवाद और रूसी सेना से युद्ध ने सबकुछ बर्बाद करके रख दिया। ऐतिहासिक रूप से चेचेन्या पिछले 200 साल से रूस के लिए समस्या बना हुआ है।चेचेन्या का पुराना इतिहास भी रक्तरंजित रहा है। यहां के लड़ाके 15वीं सदी में ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ लड़े थे। रूस के बढ़ते प्रभाव के कारण 1817 में चेचेन्या में कॉकस युद्ध शुरू हो गया। साल 1858 में रूस ने चेचेन्या में इमाम शमील के विद्रोह को कुचला था। उनके नेतृत्व में इस्लामी लड़ाके इस क्षेत्र को रूस से अलग एक देश बनाने की मांग को लेकर हिंसक गतिविधियों में लिप्त थे।