रिसर्च मे पाया गया कि इन रोगियों में संक्रमण औसतन 73 दिनों तक बना रहा, लेकिन 2 रोगियों में संक्रमण एक साल से भी ज्यादा वक्त तक लगातार बना रहा। अंग प्रत्यारोपण, एचआईवी, कैंसर या अन्य बीमारियों के इलाज की वजह रोगियों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था। वायरस की रेग्युलर सैंपलिंग और जेनेटिक विश्लेषण से पता चला है कि 9 रोगियों में से 5 ने कम से कम एक ने म्यूटेशन विकसित किया, जो वैरिएंट ऑफ कंसर्न माना गया। कुछ मरीजों ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न से जुड़े कई म्यूटेशन विकसित किए, जैसे कि अल्फा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट।
जिन 9 मरीजों पर शोध हुआ था उनमें से 5 मरीजों की जान बच गई। उन 5 में से 2 ने इलाज के बिना कोविड संक्रमण से निजात पाई, जबकि 2 मरीज एंटीबॉडी थेरेपी और एंटीवायरल के साथ इलाज के बाद संक्रमण से राहत प्राप्त कर पाए। इसके अलावा एक व्यक्ति अभी भी संक्रमित है। 2022 की शुरुआत में किए गए अंतिम फॉलोअप में पाया गया कि संक्रमित चल रहे रोगी में एक वर्ष से अधिक (412 दिन) समय तक संक्रमण बना रहा था। व्यक्ति का संक्रमण दूर करने की कोशिश करने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के साथ उसका इलाज किया गया है।
यदि यह व्यक्ति अपने अगले फॉलोअप में भी कोविड पॉजिटिव बना रहता है, तो वह 505 दिनों के सबसे लंबे समय तक ज्ञात संक्रमण की अवधि को भी पार कर लेगा और फिर यह मरीज सबसे लंबे समय तक कोविड पॉजिटिव बने रहने का अनचाहा रिकॉर्ड भी बना लेगा। लंबे समय तक कोविड में आमतौर पर यह माना जाता है कि वायरस मरीज के शरीर से निकल गया है लेकिन उसके लक्षण बने रहते हैं। लगातार संक्रमण के मामलों में वायरस लंबी अवधि तक शरीर में ही बना रहता है।