नई दिल्ली (रजत बंशल): साहित्य अकादेमी में आज ‘सांस्कृतिक आदान-प्रदान’ कार्यक्रम के अंतर्गत उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान और तजाकिस्तान से पधारे लेखक, पत्रकार, विद्वान और कलाकारों को दिल्ली के विभिन्न भारतीय भाषाओं के लेखकों और विद्वानों से मिलवाया गया।
अकादेमी के तृतीय तल स्थित सभाकक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में नौ विदेशी लेखकों और दस भारतीय लेखकों ने शिरकत की। कार्यक्रम के आरंभ में सभी का स्वागत अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अंगवस्त्रम भेंट करके किया । अपने स्वागत वक्तव्य में उन्होंने कहा कि इस तरह के समागम से विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक एकता की बुनियाद और मजबूत होती है। उन्होंने पहले भी उज़्बेकिस्तान के साथ हुए इस तरह के आदान-प्रदान का उल्लेख करते हुए बताया कि दोनों देशों के बीच लोक साहित्य की एक साझी समृद्ध परंपरा है। आपसी अनुवाद से इस विरासत को और आगे बढ़ाया जा सकता है। अकादेमी ने ऐसी पुस्तकें प्रकाशित भी की हैं। स्वागत के बाद सभी आमंत्रित अतिथियों ने सांस्कृतिक आदान प्रदान की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए तथा भारतीय और उज़्बेकिस्तान की संस्कृतियों की समानता पर अपनी बात रखी। वहांँ के नृत्य लाज़गी और कथक में समानता की बात कही।
भारतीय लेखकों के इस प्रश्न पर की वर्तमान में उज़्बेकिस्तान के साहित्य की प्रवृत्ति क्या है, पर उन्होंने बताया कि अभी वहाँ के लेखक अपने देश और उसकी सांस्कृतिक विरासत की पहचान को दूसरे लोगों तक पहुँचाने के प्रयास में जुटे हैं। कुछ लेखकों ने अपनी कविताएँ भी सुनाईं। उज़्बेकिस्तान से पधारे दल में शामिल थे – असरोर अलायारोव, नीलोफर यूरिनोवा, सलीमखान मिर्जेवा, गौहर मात्यकुबोवा, रिसोलत स्पेवा, शाखोल नारालियेवा , कहमीदुल्ला ताजिएव, उलुगबेक मकसूदोव और उत्कीर अलीमोव। प्रतिनिधि मंडल के लेखकों और उनके योगदान का संक्षिप्त परिचय हिंदी-अंग्रेजी लेखिका शामेनाज बानो द्वारा दिया गया। समारोह में शामिल भारतीय लेखक थे – गौरी शंकर रैना (कश्मीरी), अभय के (अंग्रेज़ी), एम. के. रैना (कश्मीरी), रवेल सिंह (पंजाबी), अनामिका (हिंदी), देवेंद्र चौबे (हिंदी), मोहन हिमथाणी (सिंधी), सुकृता पाल कुमार (अंग्रेज़ी) आदि शामिल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात अंग्रेजी लेखक एवं राजनयिक अमरेंद्र खटुआ ने की। संचालन अकादेमी के उप सचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।