नई दिल्ली: साल में दो दिन 21 मार्च और 23 सितंबर का दिन ऐसा होता है, जब दिन और रात बराबर होते हैं। यानी आज 23 सितंबर को भी दिन और रात बराबर होंगे। जब पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं तो वैज्ञानिक भाषा इस पूरी प्रक्रिया को ”इक्वीनॉक्स” (Equinox) कहते हैं। इक्वीनॉक्स लैटिन भाषा का शब्द है। ये शब्द दो शब्दों equal और nox से मिलकर बना है। equal का अर्थ है बराबर और nox का अर्थ है- रात। इसलिए इक्वीनॉक्स शब्द का प्रयोग ‘दिन और रात की लंबाई बराबर’ होने पर करते हैं। इक्वीनॉक्स को हिंदी में ”विषुव” कहा जाता है, ये एक संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है। सौरमंडल में सूर्य ग्रह की भूमिका मौसम में बदलाव के लिए सबसे ज्याद अहम माना जाता है। सूर्य सभी ग्रहों का राजा है। वैज्ञान के अनुसार सूर्य सौरमंडल में अपने निर्धारित कक्ष में लगातार एक गति से चक्कर लगाता है। सूर्य की दिशा उत्तर से दक्षिण रहती है। वहीं पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई रहती है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। इसी प्रक्रिया को करते-करते साल में 21 मार्च और 23 सितंबर ऐसा दिन आता है, जब पृथ्वी की भूमध्य रेखा बिल्कुल सूर्य के सामने पड़ती है। इसी वजह से इन 21 मार्च और 23 सितंबर को साल में दिन और रात पूरी तरह बराबर होते हैं। इसी सौरमंडल की प्रक्रिय विज्ञान में इक्वीनॉक्स कहा जाता है। शरद ऋतु इक्वीनॉक्स के दौरान, सूर्य सीधे भूमध्य रेखा पर चमकता है और उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में समान मात्रा में किरणें मिलती हैं।
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