डॉ प्रताप चौहान,
जीवा आयुर्वेद, फरीदाबाद
आयुर्वेद के अनुसार वात दोष के कारण आंतों की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से संचालित नहीं होती, जिसके कारण मलाशय में मल कड़ा होने लगता है और वह स्वाभाविक रूप से विसर्जित नहीं होता.

आयुर्वेदिक मान्यता के अनुसार, जब भोजन सही तरह से पचता नहीं है, तो इस स्थिति को ‘आम’ कहते हैं. ‘आम’ को विकार युक्त या विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करने वाला कहा जाता है. इस स्थिति में मलाशय में मल संचित होने लगता है.

अविपत्तिकर चूर्ण और त्रिफला चूर्ण
विशेषज्ञ से परामर्श लेकर अविपत्तिकर चूर्ण और त्रिफला चूर्ण आदि का सेवन करें.

दूध में 8 से 10 दाने मुनक्का
एक गिलास दूध में 8 से 10 दाने मुनक्का के डालकर उसे उबालें. रात में सोते समय इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.

दूध में अंजीर फल
दूध में अंजीर फल के दो से तीन टुकड़ों को डालकर उबालें और फिर अंजीर के इन्हीं भागों को खाएं. बाद में दूध पीएं.

काला नमक और हींग
एक चुटकी काला नमक और मटर के छोटे दाने के बराबर हींग की मात्रा मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर करने में मदद मिलती है.

हरड़ (हरीतकी) के चूर्ण
हरड़ (हरीतकी) के चूर्ण या पाउडर को 3 ग्राम मात्रा में गर्म पानी में मिलाकर सेवन करें.

गुनगुने पानी में शहद
सोने से पहले एक गिलास गुनगुने पानी में चम्मच भर मात्रा में शहद मिलाकर पीना शुरुआती कब्ज को दूर करने में सहायक है.

नीबू पानी में शहद
सुबह एक गिलास गुनगुने नीबू पानी में शहद मिलाकर पीना भी हितकर है.
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