काबुल: अपनी नई छवि दिखाने की कवायद कर रहा तालिबान असल में पुरानी बर्बरता पर उतर आया है। 15 अगस्त को आतंकी संगठन के काबुल पर कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में मानवाधिकार हनन की घटनाएं बढ़ गई हैं। संयुक्त राष्ट्र को सौंपी गई दो रिपोर्टों में लोगों पर आतंकी समूह द्वारा किए जा रहे अत्याचारों का खुलासा किया गया है। अपनी रिपोर्ट में वैश्विक अधिकार व सुरक्षा मंच (आईएफएफआरएएस) ने कहा है, मानवाधिकारों का सम्मान करने के वादे के उलट तालिबान मनमानी पर उतर आया है। महिलाओं, अल्पसंख्यकों और बच्चों को बुरा बर्ताव झेलना पड़ रहा है। अपनी रिपोर्ट में वैश्विक अधिकार व सुरक्षा मंच (आईएफएफआरएएस) ने कहा है, मानवाधिकारों का सम्मान करने के वादे के उलट तालिबान मनमानी पर उतर आया है। महिलाओं, अल्पसंख्यकों और बच्चों को बुरा बर्ताव झेलना पड़ रहा है। आईएफएफआरएएस के मुताबिक, सत्ता हाथ में लेते ही आतंकी संगठन ने सरकारी अधिकारियों को माफी और महिलाओं के बुनियादी हक बरकरार रखने का एलान किया था। लेकिन महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के लोग मारे जा रहे। मानवाधिकार निगरानी संस्था (एचआरडब्ल्यू) का कहना है, अफगानिस्तान में महिला अधिकारों का हनन करने वालों को सजा की बात महज छलावा लग रही है। महिलाओं को कानूनी संरक्षण देने वाले कानून तालिबान के आते ही निष्प्रभावी होने लगे हैं। संस्था की एशिया क्षेत्र की सहयोगी निदेशक पैट्रीशिया गॉसमैन का कहना है, एक ओर तालिबानी नेतृत्व नागरिक समाज को सुरक्षा देने का दावा कर रहा है तो दूसरी ओर उसके लड़ाके लोगों को चुन-चुनकर मारने लगे हैं। लिहाजा, तालिबान के खिलाफ जिन अफगानियों ने देशों की मदद की है, उन्हें इन लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकालना चाहिए।
Very interesting points you have mentioned, regards for
posting.Expand blog