पिछले पखवाड़े भर से दुनिया का ध्यान इस्राइलियों और फिलिस्तीनियों के बीच चल रहे वंश नाशक नरसंहार पर टिका है. गाजा की घेराबंदी ने विकट मानवीय संकट पैदा कर दिया है, जिसका एक पक्ष बुनियादी मानवाधिकार खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है. इस घटनाक्रम ने हमें बरबस इस क्षेत्र के खानपान के बारे में सोचने को विवश किया है. हालांकि, मध्य-पूर्व का बहुत बड़ा इलाका रेगिस्तान है, पर यहां कुछ इलाके ऐसे भी हैं जो हजारों वर्षों से नील और दजला-फरात जैसी नदियों से सींचे जाते रहे हैं. जहां की हरियाली घाटियों में सुनहरी फसलें लहलहाती रही हैं. ऐसा ही एक देश है मिस्र, जिसकी पहचान हैं दैत्याकार पिरामिड, हजारों वर्ष पहले अंतिम सांस ले चुके ममी के रूप में संरक्षित राजसी शव, अबू सिंबल जैसे विराट मंदिर और यूरोप को एशिया से जोड़ने वाली स्वेज नहर. इस सब के बावजूद मिस्र के जायकों के बारे में हमारी जानकारी बहुत कम है.
मिस्र के खानपान में फलाफल, कोफ्ते और कबाब जैसे बहुत सारे व्यंजन दूसरे अरब देशों में भी चाव से खाये जाते हैं. इनके साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिनका स्वाद मिस्र की जमीन से जुड़ा है और जिनका स्वरूप हजारों वर्षों से बदला नहीं है. इन्हीं में एक फल मदामेस है. यह शुद्ध शाकाहारी खाद्य पदार्थ है, जिसे राजमा, जैतून के तेल और जीरे के साथ तैयार किया जाता है. इसका आनंद बढ़ाते हैं, नींबू का रस, प्याज और हरे धनिये की एक प्रजाति. हिंदुस्तानी पर्यटकों को यह जैसे अपने घर का खाना लगता है. कोशारी का जायका भी कुछ जाना-पहचाना लगता है. राजधानी काहिरा की सड़कें दोपहर के भोजन के समय कोशारी चाहने वालों से खचाखच भरी रहती हैं. इसे बनाया जाता है चावल, मैक्रोनी दालों से और इसकी रोचकता बढ़ाते हैं टमाटर के ताजा सॉस, लहसुन और सिरका. बची-खुची कसर पूरी कर देते हैं काबुली चने और तले हुए प्याज, जो सबसे ऊपरी परत में बिराजते हैं. ऐसी सस्ती और पौष्टिक खुराक अन्यत्र दुर्लभ है.
यह न समझें कि मिस्र वाले चावल, आटा, मैदा और दाल से ही अपना काम चलाते हैं. हमाम महाशी को आप मुर्ग मुसल्लम का बच्चा कह सकते हैं. यह भरवा कबूतर है जिसके लिए इन पक्षियों को बड़े जतन से मिट्टी के घोंसलों में नील नदी के किनारे रखा जाता है. इनके भीतर भरा रहता है मसालेदार प्याज और गेहूं की कुटी हुई हरी बालियां या गेहूं का दलिया. कुछ लोग इन्हें आसमान से टपका चूहा भी कहते हैं. फितीर बलादी को बहुत लोग मिस्र का पिज्जा कहते हैं. इसमें मैदे की एक नहीं अनेक परतों को एक के ऊपर एक रख कर ईंटों के चूल्हे में पकाया जाता है. इसका आनंद आप बिल्कुल सादा भी ले सकते हैं और इसके ऊपर मांस, पनीर और सब्जियां रख कर भी. शहद और चीनी की चाशनी से तरबतर कर इसे मिठाई के रूप में भी परोसा जाता है.
दूसरे अरब देशों तथा तुर्की की तरह बकलावा (परतदार हलवा) मिस्र में भी लोकप्रिय है. पर इस देश की अपनी जिस मिठाई का जायका भुलाया नहीं जा सकता, वह बसपूसा है. यह सूजी से बना एक केक है जिसके छोटे-छोटे टुकड़े बर्फी की तरह काट कर, बादाम से सजा कर ठंडा या गरम खाया जाता है. हल्की मिठास का आनंद बढ़ाती है नींबू या संतरे की महक. बहुत आसानी से आप मिस्र के इन जायकों का आनंद घर बैठे ले सकते हैं.