China Recession: कोविड के बाद आयी मंदी के प्र‍भाव से बाहर आ रहा चीन, इन आर्थिक आंकड़ों से मिले संकेत

China Recession: कोविड के बाद चीन में बढ़ी महंगाई और आर्थिक मंदी का असर दुनिया पर देखने को मिला रहा है. हालांकि, चीन ने अपने देश में महंगाई को काफी हद तक काबू कर लिया है. इसके साथ ही, आर्थिक मंदी से भी बाहर निकलने की पूरी कोशिश कर रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन के कारखानों ने गति पकड़ ली है और अगस्त में खुदरा बिक्री में भी तेजी आई है. सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे वैश्विक महामारी के बाद की स्थिति से उबर सकती है. हालांकि, रेस्तरां तथा दुकानों में व्यस्त गतिविधि के बावजूद आंकड़ों में सभी महत्वपूर्ण संपत्ति क्षेत्र में लगातार कमजोरी दिखी. रियल एस्टेट डेवलपर्स सुस्त मांग के कारण कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. रियल एस्टेट निवेश में अगस्त में सालाना आधार 8.8 प्रतिशत की गिरावट आई. साल की शुरुआत से ही गिरावट लगातार बढ़ती जा रही है. बैंकों पर बोझ कम करने के लिए पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना या केंद्रीय बैंक ने बृहस्पतिवार देर रात कहा कि अधिकतर उधारदाताओं के लिए आरक्षित आवश्यकता में शुक्रवार तक 0.25 प्रतिशत अंक की कटौती की जाएगी.

चीन में अगस्त में खुदरा बिक्री सालाना आधार पर 4.6 प्रतिशत बढ़ी

केंद्रीय बैंक के अनुसार, आर्थिक सुधार की नींव को मजबूत करने और उचित तथा पर्याप्त तरलता बनाए रखने के लिए, इससे उधार देने के लिए अधिक धन उपलब्ध होगा. शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में खुदरा बिक्री सालाना आधार पर 4.6 प्रतिशत बढ़ी, ऑटो बिक्री 5.1 प्रतिशत बढ़ी. जुलाई में खुदरा बिक्री में मामूली 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. औद्योगिक उत्पादन 4.5 प्रतिशत वार्षिक गति से बढ़ा, अप्रैल के बाद सबसे औद्योगिक उत्पादन सबसे तेजी से बढ़ा है. जुलाई में 3.7 प्रतिशत से अधिक बढ़ा था. कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस-प्रिचर्ड ने रिपोर्ट में कहा कि अगस्त में रुझान उम्मीद से कुछ बेहतर रहे. चीन की अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून तिमाही में पिछली तिमाही की तुलना में 0.8 प्रतिशत बढ़ी.

भारत पर क्या होगा असर

कोविड के बाद से भारत को पूरी दुनिया एक बड़ा बाजार और निर्माण हत के रुप में देख रही है. इसके कारण हाल के दिनों में विश्व की लगभग बड़ी कंपनियों ने अपने निर्माण हद को भारत में स्थापित करने की इच्छा जताई है. हालांकि, अभी चीन का दबदबा निर्माण और निर्यात क्षेत्र में भारत के अनुपात में काफी ज्यादा है. मगर, मंदी से निकलने के बाद चीन हर तरह की कोशिश करके अपने पहले वाली स्थिति में लौटने की कोशिश करेगा. इसके लिए चीन के केंद्रीय बैंक ने पहले ही, अपने देश के निर्माण क्षेत्र को ऋण आदि, उपलब्ध कराने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.

क्या है भारत की तैयारी

चीन को टक्कर देने की भारत पूरी तैयारी कर रहा है. हाल ही में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ऐतिहासिक भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की गयी. इसमें भारत, अमेरिका, यूएइ, सऊदी अरब, फ्रांस, इटली, जर्मनी और यूरोपीय संघ की भागीदारी होगी. इस कॉरिडोर के जरिये अब भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप रेल और पोर्ट के जरिये सीधे जुड़ जायेंगे. इसके बन जाने से भारत और यूरोप के बीच व्यापार में करीब 40% तक की वृद्धि होगी. इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) कॉरिडोर का जवाब माना जा रहा है. इस कॉरिडोर का एलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ की. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज हम ऐतिहासिक साझेदारी पर पहुंच गये हैं. आने वाले समय में यह भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के आर्थिक एकीकरण का प्रभावी माध्यम बनेगा. वहीं, बाइडेन ने कहा कि अमेरिका हिंद महासागर की तरफ अंगोला से एक नयी रेल लाइन में निवेश करेगा. इससे नौकरिया पैदा होंगी और खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी.

भारत एक आर्थिक शक्ति बन रहा: अघी

अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि भारत एक आर्थिक शक्ति बन रहा है. अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 4,000 अरब डॉलर की है और अगले दो साल में यह 5,000 अरब डॉलर पर होगी. उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को भी दर्शाती है.

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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