डिहाइड्रेशन लक्षण : प्यास, मूत्र त्याग में कमी, त्वचा का सूखापन, कमजोरी और आलस्य, सिरदर्द, मुंह सूखना, दिल की धड़कन और श्वसन में वृद्धि और चक्कर – निर्जलीकरण के आम लक्षण हैं
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बच्चों को निर्जलीकरण होने पर इन लक्षणों के अलावा अधिक बुखार, पेट दर्द, आंख और गाल के धंसे होने, सुई चुभोने पर त्वचा में कोई संवेदना नहीं होने, बेचैनी, रोने पर आंसू नहीं निकलने, तीन से अधिक घंटे तक मूत्र नहीं होने, मुंह और जीभ सूखने जैसे लक्षण हो सकते हैं
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रोगी डिहाइड्रेट है कि नहीं, यह देखने के लिए माथे की चमड़ी को चिकुटी में लेकर खींचकर छोड़ दें. सामान्य व्यक्ति में चमड़ी तुरंत अपनी पूर्व अवस्था में आ जाती है, लेकिन अगर झुर्री पड़ी रहे तो यह निर्जलीकरण की निशानी है
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निर्जलीकरण का शीघ्र पता लग जाने पर किसी चिकित्सक के परामर्श से घर पर ही मरीज का इलाज किया जा सकता है.बच्चों को बीमारी की स्थिति के मुताबिक आहार दिया जाना चाहिए और इसके लिए चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी होता है
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मामूली निर्जलीकरण होने पर अधिक मात्रा में लस्सी, शरबत और दाल का पानी जैसे विभिन्न तरल और चीनी-नमक अथवा ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओ.आर.एस.) के घोल का सेवन करना चाहिए
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तीव्र निर्जलीकरण होने पर मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने और इंजेक्शन के जरिए तरल चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है.