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फिजियोथेरेपी सीएमई सह वर्कशॉप का आयोजन में बोल रही थीं डॉ रॉय
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शहर के कई गणमान्य ऑर्थोपेडिक सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, फिजियोथैरेपिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट आदि ने लिया भाग
सर्जरी चाहे जितने अच्छे से हुई हो, अगर फिजियोथेरेपी ठीक से नहीं हुई तो सर्जरी सफल नहीं हो पाएगी. इसलिए फिजियोथेरेपी पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. खासकर आज के समय में जब लोगों की दिनचर्या बहुत ही अस्त-व्यस्त होती जा रही है, फिजियोथेरेपी का महत्व भी बढ़ता जा रहा है.
ऑर्थोपडिक कंडिशन में फिजियोथेरेपी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए ये बातें डॉ शांति रॉय ने कहीं. मौका था पटना में आयोजित फिजियोथेरेपी सीएमई (कन्टिन्यूयिंग मेडिकल एजुकेशन) सह वर्कशॉप का. इस कार्यक्रम का आयोजन फोर्ड हॉस्पिटल में एम्स फिजियोथेरेपी क्लिनिक के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम के पहले सत्र की शुरुआत फोर्ड हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन के वक्तव्यों के साथ हुई. वक्ताओं ने ऑर्थोपडिक कंडिशन में फिजियोथेरेपी की भूमिका के बारे में बताया. इस दौरान प्रमुख रूप से डॉ. संतोष कुमार, डॉ. अरुण कुमार और डॉ. बीबी भारती ने अपनी बातें रखीं.
फिजियोथेरेपी करीब 50 साल के बाद एक बड़े आयाम पर पहुंचा
इसके बाद कार्यक्रम औपचारिक उद्घाटन पद्मश्री डॉ शांति रॉय, आईएपी (इंडियन एकेडमी ऑफ पेड्रियाटिक्स) बिहार चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. एनके सिन्हा और प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एके सिंह ने किया. इस मौके पर डॉ. एनके सिन्हा ने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि फिजियोथेरेपी आज करीब 50 साल के बाद एक बहुत बड़े आयाम पर पहुंचा है. हमें इसे और आगे ले जाना है और आम लोगों तक इसके महत्व को समझाना है.
कार्यक्रम की थीम “फिजियोथेरेपी: ए सिंबल ऑफ होप, रेजिलिएंस एंड रिकवरी” रखी गयी थी. कार्यक्रम की संयोजक डॉ. स्वाति कुमारी ने बताया कि इस कार्यक्रम की थीम विश्व फिजियोथेरेपी दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए विचारों के आधार पर रखी गयी थी. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. दर्शप्रीत कौर और डॉ. राजीव कुमार ने अपनी बातें रखीं. इन वक्ताओं के अलावा इस सीएमई में शहर के कई गणमान्य ऑर्थोपेडिक सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, फिजियोथैरेपिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट आदि ने भाग लिया.