परवेज हुदभोय ने कहा, ‘चीन ने 1962 में इस डिजाइन का परीक्षण किया था। मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं क्योंकि 2003 में अमेरिका ने एक समुद्री जहाज पकड़ा था जिसमें सेंट्रीफ्यूज के पुर्जे थे। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. अब्दुल कादिर खान ने इसे मलेशिया से लीबिया भेजने की कोशिश की। लेकिन रास्ते में जहाज पकड़ लिया गया और परमाणु बम की डिजाइन का खुलासा हो गया।’ उन्होंने कहा कि यह बात पूरी तरह सच है क्योंकि जहाज से बरामद डिजाइन चीनी भाषा में लिखा हुआ था।
भारत के परमाणु कार्यक्रम से डर गया था पाकिस्तान
हुदभोय ने बताया, ‘अमेरिका भी यह बात जानता है और वह इसे उजागर भी कर सकता है। डिजाइन एक तरह से परमाणु बम का ब्लू प्रिंट था और उसमें बम के पुर्जे दिखाए गए थे।’ उन्होंने कहा कि मुझे साल 1995 में ही पता चल गया था कि चीन परमाणु बम का डिजाइन पाकिस्तान को दे रहा है। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान भारत के परमाणु कार्यक्रम से घबरा गए थे। उन्होंने इससे मुकाबला करने के लिए अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू कर दिया था।
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‘भूखे रहकर भी बनाएंगे परमाणु बम’
साल 1965 में अयूब खान ने कहा था, ‘भारत अगर बम बनाएगा तो हम घास-फूस खाएंगे, भूखे भी सोएंगे, लेकिन अपना बम जरूर बनाएंगे। इसके अलावा हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है।’ पाकिस्तान को पहला परमाणु बम बनाने में सफलता साल 1998 में मिली, जिसका नेतृत्व डॉ अब्दुल कादिर खान ने किया था। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान के पास आज कुल 165 परमाणु बम हैं। कई विशेषज्ञ अस्थिर और कंगाल पाकिस्तान में परमाणु बमों के इतने बड़े जखीरे की सुरक्षा पर सवाल भी उठाते रहे हैं।